
नई दिल्ली। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जनता के शासन प्रशासन के कामकाज की जानकारी लेने वाले सूचना के अधिकार कानून को सिर्फ कागजों पर जिंदा रखा है लेकिन इसे व्यावहारिक रूप से खत्म कर दिया है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने इसको लेकर एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में विस्तार से लेख लिखकर कहा है कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार का क्रांतिकारी विचार था लेकिन जनता के इस अधिकार को मोदी सरकार ने किस तरह से ध्वस्त कर दिया है उसका विवरण इस लेख में है।
खेड़ा ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने लेख के बारे में जानकारी देते हुए मंगलवार को बताया, “कागज़ों पर तो आरटीआई जिंदा है लेकिन व्यवहारिक तौर से मोदी सरकार ने इस क्रांतिकारी विचार की मशीनरी को ध्वस्त कर दिया है, जिसने क़ानून के जरिए ताकतवर लोगों को कमजोर लोगों के प्रति जवाबदेह बनाया था। मैं मोदी सरकार द्वारा आरटीआई क़ानून को कुचले जाने पर लिख रहा हूँ।”
कांग्रेस नेता तथा पार्टी के संचार विभाग के प्रभारी जय रामनरेश ने भी इस कानून के 20 साल पूरा होने पर रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि मोदी सरकार ने सूचना के अधिकार कानून को पंख बना दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें संशोधन कर इस कानून की व्यावहारिकता को ही खत्म कर दिया गया है।





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