Google Doodle Hamida Banu : आज Google ने अपना Doodle बदल दिया है। आज यानी 4 मार्च में को भारत की पहली महिला पहलवान का डूडल गूगल ने अपने सर्च इंजन पर लगाया है . आज ही के दिन 1994 में आयोजित एक कुश्ती मैच में केवल 1 मिनट 34 सेकंड में दी जीत दर्ज करने के बाद हमीदा बानो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। आपको बता दे हमीदा बानो को डूडल में हम साफ देख सकते हैं, कि उसके बैकग्राउंड में गूगल लिखा हुआ है, तथा जंगल का एक दृश्य दिया गया है। आपको बता दे हमीदा बानो को “अलीगढ़ का अमेजॉन” भी कहा जाता है।
1994 में कुश्ती मैच में प्रसिद्ध पहलवान बाबा पहलवान हारा दिया था। जिसके बाद बाबा पहलवान ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। इसके साथ ही गूगल ने अपने डूडल के डिस्क्रिप्शन में लिखा “यह डूडल भारतीय पहलवान हमीदा बानो का जश्न मनाता है, जिन्हें व्यापक रूप से भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान माना जाता है।”
आपको बता दे की हमीदा बानो अपने दिन दृढ़ संकल्प और अपारशक्ति के लिए जानी जाती थी। उन्होंने कुस्ती की शुरुआत 1937 से की थी। जिसके बाद उन्होंने एक दशक से भी अधिक तक कुश्ती में अपनी धाक जमाई रखी थी। इसके साथ ही उन्हें कई नाम से बुलाया जाता था। जैसे “अलीगढ़ की वीरांगना” ,”अलीगढ़ की अमेजॉन” इत्यादि नाम से हमीदा बानो फेमस थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी हमीदा बानो ने उस समय पर कुश्ती में अपना दमखम दिखाया था। जिस वक्त सिर्फ पुरुषों का ही सबसे ज्यादा बोलबाला था।
कुश्ती में जिस वक्त हमीदा बानो ने कुश्ती में अपनी पहचान बनाई थी। उसे वक्त किसी भी महिला का कुश्ती में आना नामुमकिन था। उसके साथी आपको यह जानकर हैरानी होगी, कि हमीदा बानो ने 300 से भी ज्यादा कुश्ती के प्रतियोगिताओं को जीत कर अपना नाम दर्ज करवाया था।
हमीदा बानो ने रखा था कुश्ती की प्रतियोगिता
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमीदा बानो में अपनी शादी के लिए एक प्रस्ताव रखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि “अगर उन्हें कोई कुश्ती में हरा देता है तो वह उससे शादी कर लेंगी” इसके बाद उनके पास कई प्रस्ताव आए। लेकिन उन्होंने हर पहलवान को बड़ी आसानी से हरा दिया। हमीदा बानो ने अपनी कुश्ती का परिचय पंचनामा कई पहलवानों को हराकर दिखाया था।
कुश्ती के बाद का जीवन
अपने यूरोप की यात्रा के दौरान हुए कुश्ती मैचों के बाद वह एक तरीके से गायब सी हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक यह पता चला है कि हमीदा बानो को सलाम पहलवान के घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद से उनका हाथ टूट गया था। सलाम पहलवान अपने देरी व्यवसाय के लिए काफी मशहूर था। और अलीगढ़ मुंबई और कल्याण के बीच यात्रा करता था। घरेलू हिंसा के बाद सलाम पहलवान अलीगढ़ लौट गए। जबकि बानो कल्याण में ही रही। बानो ने दूध बेचने, इमारत को किराए, पर लेने और घरेलू स्नेक्स बेचने का सहारा लिया। जिससे वह अपनी राजमार्ग की जरूरत को पूरा कर सकें वर्ष 1946 में भारत की पहली महिला पहलवान हमीदा बानो ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
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