
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है और इसकी वजह रूस से तेल खरीदने और अप्रत्यक्ष रूप से रूस यूक्रेन युद्ध में भागीदार होने का आरोप लगाया है। ट्रंप की टैरिफ की धमकियों का भारत ने करारा जवाब दिया है और उनकी धमकियो को अनदेखा कर भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए है। अब ट्रंप के लिए ऐसी खबर है कि उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच सकता है।क्योंकि भारतीय रिफाइनरियों के लिए रूसी कच्चा तेल अब और सस्ता हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस ने भारत को दिए जाने वाले तेल पर छूट को और बढ़ा दिया है और अब ये छूट 3-4 डॉलर प्रति बैरल कर दिया गया है। बता दें कि पिछले सप्ताह भारत को मिल रही यह छूट 2.50 डॉलर थी, जबकि जुलाई में एक डॉलर प्रति बैरल थी। अब भारत को रूसी तेल और सस्ता मिलेगा और ये नई दरें सितंबर और अक्टूबर में भारत को भेजे जाने वाले तेल पर लागू होंगी।
ट्रंप ने दोगुना कर दिया था टैरिफ
ट्रम्प प्रशासन ने पिछले हफ़्ते भारत पर टैरिफ़ दोगुना करके उसे 50 प्रतिशत कर दिया था ताकि उसे रूसी तेल ख़रीदने और यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने के लिए दंडित किया जा सके। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में, 2022 में भारत रूसी कच्चे तेल का एक प्रमुख आयातक बन गया था। अब, अमेरिका की बार-बार टैरिफ की धमकी के बाद, भारत ने अपने संबंधों का एक बेबाक प्रदर्शन करते हुए, खुद को रूस और चीन से दोस्ती और ज्यादा कर ली है।
शंघाई शिखर सम्मेलन से बड़ा संदेश
चीन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि रूस और भारत के बीच “विशेष” संबंध हैं। इसी तरह, उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाक़ात की, और दोनों देशों ने प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार बनने का संकल्प लिया।
अमेरिका ने भारत पर लगाया आरोप
व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने भारत की तीखी आलोचना करते हुए कहा था, “पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले, भारत रूसी तेल बहुत कम मात्रा में ख़रीदता था। अब क्या हुआ? अब, रूसी रिफ़ाइनर छूट देते हैं, भारत उसे रिफ़ाइन करता है, और फिर उसे यूरोप, अफ़्रीका और एशिया को प्रीमियम दर पर बेचता है। इससे रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा मिलता है।”