
- कुशीनगर में आलिम परीक्षा के टेबुलेशन रजिस्टर-2014 में सिर्फ 45 परीक्षार्थी के नाम
लखनऊ। मदरसा शिक्षा परिषद में वर्ष 2014 के आलिम और कामिल अरेबिक परीक्षाओं से जुड़े फर्जी अंकपत्र प्रकरण में मंडलायुक्त बस्ती की जांच रिपोर्ट ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस मामले में तत्कालीन रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बिष्ट की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। मंडलायुक्त बस्ती अखिलेश सिंह ने शासन को इसकी विस्तार से रिपोर्ट भेजी। जिसमें मदरसा गौसिया फैजुल उलूम मइहरवा कुशीनगर द्वारा पेश की गई टेबुलेशन रजिस्टर-2014 में केवल 45 परीक्षार्थियों के नाम व अनु्क्रमांक दर्ज थे।
जिसमें साबिर अली अंसारी का नाम और उनका अनुक्रमांक 4050266 मौजूद नहीं था। कामिल अरेबिक तृतीय वर्ष में भी जाकिर हुसैन का नाम तो दर्ज मिला, लेकिर परिणाम में फेल दर्शाया गया था। इसके बाद रजिस्ट्रार कार्यालय की प्रस्तुत टेबुलेशन रजिस्टर में उसे पास दिखाया गया। रजिस्ट्रार कार्यालय से उपलब्ध टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) पर न किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर थे, न पेज नंबरिंग, न प्रमाणीकरण था। लगता है कि यह दस्तावेज किसी आधिकारिक प्रक्रिया से गुजरा ही न हो। इसके विपरीत मदरसा प्रधानाचार्य द्वारा भेजी गई टीआर पूरी तरह हस्ताक्षरित और सत्यापित थी।
प्रस्तुत अंकपत्रों पर भी परिषद कर्मियों के हस्ताक्षरों के बजाय मदरसा लिपिक अनवर हुसैन और प्रधानाचार्य अब्दुल शकूर के हस्ताक्षर मिले। इससे साफ है कि अंकपत्र कूटरचित थे। इन्हें मदरसे के भीतर ही तैयार किया गया। इस पूरे मामले में संदिग्ध पहलू तत्कालीन रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बिष्ट की कार्यशैली रही।
8 जुलाई 2022 को उनके कार्यालय द्वारा दोनों अंकपत्रों को असत्य बताते हुए पत्र जारी किया गया। मात्र 18 दिन बाद 26 जुलाई 2022 को वहीं रजिस्ट्रार ने इन अंकपत्रों को सत्य घोषित कर दिया। संबंधित कनिष्ठ सहायक ने टिप्पणी बदलकर इसे “टंकण त्रुटि” बताया, लेकिन न तो इस बदलाव के पीछे कोई तथ्य थे और न कोई कारण। तत्कालीन रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बिष्ट ने इस असंगति पर कोई सवाल उठाना तो दूर, बिना किसी जांच-पड़ताल के संशोधित सत्यापन आख्या पर हस्ताक्षर कर दिए। जांच रिपोर्ट ने इसे साफ शब्दों में “किसी कार्य के पश्चात विचार” की श्रेणी में रखा और कहा कि यह बदलाव न तो स्वाभाविक था, न प्रक्रियात्मक।
परीक्षा से संबंधित अभिलेख मुख्यालय पर ही नहीं
जांच में यह सामने आया कि वर्ष 2014 की परीक्षाओं से संबंधित आवेदन पत्र, उत्तरपुस्तिकाएं और अन्य अभिलेख जिला मुख्यालय पर उपलब्ध ही नहीं हैं। परिषद के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बिष्ट से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभिलेख “बेंडर को दे दिए गए थे और वापस नहीं मिले” जांच रिपोर्ट में न केवल असंतोषजनक बताया गया, बल्कि इसे गंभीर लापरवाही का उदाहरण माना गया।
ऐसे अप्रमाणिक, बिना हस्ताक्षर वाले अभिलेखों के आधार पर तत्कालीन रजिस्ट्रार का दो-दो सत्यापन जारी करना उनकी भूमिका को और अधिक संदिग्ध बनाता है। इन तथ्यों के आधार पर प्रदेश शासन ने रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बिष्ट को 12 फरवरी 2024 को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यावाही का आदेश दिया। हालांकि बाद में जांच जारी रहते हुए जगमोहन सिंह बिष्ट को बहाल कर दिया गया। साथ ही उपनिदेशक मुरादाबाद के पद पर तैनाती दे दी गई।
खुद को बताते हैं मुख्यमंत्री का सहपाठी
विभाग में इस बात की चर्चा है कि पूर्व रजिस्ट्रार व वर्तमान उपनिदेशक मुरादाबाद स्वयं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सहपाठी बताते हैं। प्रशासनिक गलियारों और विभाग में इसी के दम पर अपनी धौंस दिखाते हैं। पूर्व रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह बिष्ट का विवादों से पुराना नाता है। कई मामलों में उन पर गंभीर आरोप लग चुके हैं।




