
बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले यानी एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईआर वोटर फ्रेंडली है और ये वोटरों के खिलाफ नहीं है। प्रशासनिक सेवा में यानी देश में सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस, आईआरएस इत्यादि विभागों में बिहार मूल के लोगों का भी दबदबा है। ऐसे में बिहार को बदनाम ना करें। इस मामले की सुनवाई के दौरान वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज कम ही लोगों के पास है। इस दौरान सुनवाई कर रहे जस्टिस बागची ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमें आपका आधार को बहिष्कार करने का तर्क समझ आ गया है लेकिन अन्य दस्तावेजों की संख्या का मुद्दा वास्तव में मतदाताओं के अनुकूल है, उनके खिलाफ नहीं। उन दस्तावेजों की संख्या पर गौर करें जिनसे आप नागरिकता साबित कर सकते हैं।
एसआईआर पर मचा है बवाल
बता दें कि एसआईआर मामले पर इन दिनों देश में बवाल मचा हुआ है। विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा पर वोट चोरी का आरोप लगाया जा रहा है। बीते दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर इसे लेकर निशाना साधा था और प्रजेंटेशन के जरिए राहुल गांधी ने कहा कि देश में वोट की चोरी की जा रही है। इस मामले को लेकर हबीते दिनों विपक्षी सांसदों द्वारा संसद भवन से लेकर चुनाव आयोग कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला गया। इस दौरान विपक्षी सांसदों के इस प्रोटेस्ट मार्च को पार्लियामेंट के बाहर ही रोक दिया गया।
क्या बोले शशि थरूर?
विपक्षी सांसदों का ये प्रदर्शन चुनाव आयोग के खिलाफ बिहार में SIR और 2024 के लोकसभा चुनाव की वोटिंग में हुई धोखधड़ी को लेकर किया गया। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल हुए। शशि थरूर ने कहा, ‘जब तक लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर संदेह है। तब तक चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच रहा है। अगर ये संदेह दूर हो जाते हैं, तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता वापस आ सकती है। चुनाव आयोग का अपना हित इन सवालों का समाधान करने में है।’