कभी किसी ने भूत देखा है? ये सवाल अगर किसी से पूछा जाए तो इसके अलग-अलग जवाब मिलेंगे. कोई कहेगा कि उसने देखा है. कोई कहेगा कि भूत-वूत कुछ नहीं होता. कोई कहेगा कि होते होंगे, कभी सामना नहीं हुआ. लेकिन जरा सोचिए कि अगर आपका कभी ऐसे ही किसी तत्व से सामना हो जाए तो क्या होगा. जाहिर सी बात है कि सब कुछ नॉर्मल तो नहीं रह जाएगा. वशीकरण पर अब तक न जाने कितनी फिल्में ऐसी बनी हैं जो कि सच्ची घटनाओं से प्रेरित बताई गई हैं. लेकिन अजय देवगन की ये फिल्म किसी भी सच्ची घटना का दावा नहीं करती और एक काल्पनिक फिल्म है. अब इस कल्पना के जाल में ये फिल्म दर्शकों को अपने वश में कितना कर पाती है आइये जानते हैं.
फिल्म की कहानी
इस फिल्म की कहानी वशीकरण पर है. एक शख्स जिसकी नजर पहाड़ी पर पिकनिक मनाने निकली एक फैमिली पर होती है. वो उस फैमिली का पीछा करता है और उसके बच्चों को बहलाकर अपने वश में कर लेता है. वो कोई छोटा-मोटा तांत्रिक नहीं होता है. धीरे-धीरे वो अपनी शक्तियां दिखाने लगता है और अपने काले जादू से परिवार को धमकाता है. वो बार-बार अजय देवगन से उसकी बेटी की बली देने की बात कहता है. लेकिन अजय देवगन का किरदार भी अपनी बेटी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देता है. वैसे तो हमेशा बुराई पर अच्छाई ने विजय प्राप्त की है. ऐसे में ये देखना रोचक होगा कि इस फिल्म में इंसान जीतता है या शैतान. साथ में एक क्लू ये भी है कि कहानी के अंत को एक सस्पेंस के साथ छोड़ा गया है. जो इस बात की ओर इशारा करता है कि पिक्चर अभी बाकी है…
कहानी में लॉजिक्स मत ढूंढिएगा
ऐसी फिल्मों को जब सीरियसली बनाया जाता है तो उसमें कुछ ऐसे कैरेक्टर्स डाले जाते हैं जिससे जनता रिलेट कर सके. और उन कैरेक्टर्स की एक कहानी होती है. जैसे बुलबुल, भूलभुलैया और पाताल लोक जैसी फिल्मों में जिस तरह से वशीकरण और भूत-प्रेत दिखाए गए उसके पीछे एक कहानी थी. एक इतिहास था. लेकिन शैतान में उसके बारे में ऐसा कुछ भी आपको डिस्क्लोज नहीं किया गया. उसके इतिहास और उसके अस्तित्व पर फिल्म ने चुप्पी साध ली. इस वजह से आर माधवन का ये शैतान अवतार ट्रेलर में अपनी झलकियों से जितना प्रभावित कर गया था उतना फिल्म में नहीं कर पाया. कहानी के अंत में अजय देवगन एक दृश्य में किसी की जीभ दिखा रहे होते हैं, दरअसल दर्शकों को भी एक हॉरर फिल्म के नाम पर अजय देवगन ने जीभ ही दिखा दी है.
कैसी है एक्टिंग?
फिल्म में वैसे तो सभी मंझे हुए स्टार्स ने अच्छी एक्टिंग की है. अजय देवगन हमेशा की तरह ऐसी सस्पेंस-ड्रामा फिल्मों में खरे उतरे हैं. ज्योतिका का रोल भी अच्छा है. न्यूकमर्स ने भी अच्छा काम किया है. लेकिन फिल्म में महफ़िल तो आर माधवन लूट ले गए हैं. उनकी एक्टिंग फिल्म में जोरदार है. वो बात अलग है कि उनके कैरेक्टर पर फिल्म में अच्छी तरह से काम नहीं किया गया है. उनके कैरेक्टर को और भी अच्छी लेंथ मिलनी थी. थोड़ा खुल कर सामने आना था. उसके इतिहास पर बात होनी थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ये बात फिल्म देखते वक्त आपको जरूर खलेगी.
डायलॉग्स और बैकग्राउंड स्कोर
एक हॉरर फिल्मों में वैसे तो डायलॉग्स की बहुत ज्यादा एहमियत नहीं होती. क्योंकि खामोशी ही बहुत कुछ बयां कर देती है. लेकिन जब आपने शैतान जैसा एक किरदार गढ़ा है जो 100 से भी ज्यादा लड़कियों को अपने वश में करता है तो ऐसे में उस किरदार के हिसाब के डायलॉग्स भी देने चाहिए थे. लेकिन न तो अजय देवगन के ही डायलॉग्स में कोई जान है न तो आर माधवन के. और ये बात इस फिल्म पर भारी पड़ सकती है. फिल्म में अच्छे डायलॉग्स का आभाव है. इसके अलावा फिल्म में इस कमी को पूरा करने के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल किया गया है. जो कहीं-कहीं बे-मतलब के ओवर हो जाता है और कमजोर कहानी की पोल खोल जाता है.