उत्तर प्रदेश

‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की आवाज है

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने बुधवार को भाजपा राज्य मुख्यालय, लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की आवाज है। यह वह स्वर है जिसने गुलामी की बेड़ियों में जकड़े भारत को आजादी की राह दिखाई। जब-जब देश पर संकट आया, यह गीत हर भारतीय के हृदय में नई ऊर्जा, साहस और एकता का संचार करता रहा।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि वंदे मातरम में केवल मातृभूमि की स्तुति नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति श्रद्धा, त्याग और समर्पण की भावना निहित है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत हर आंदोलन और बलिदान का प्रेरणास्रोत बना। आजाद भारत में भी इसकी प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक है। यह गीत हमें स्मरण कराता है कि हमारा राष्ट्र केवल सीमाओं से नहीं, बल्कि साझा संस्कृति, भावनाओं और कर्तव्यबोध से निर्मित हुआ है।

उन्होंने बताया कि वंदे मातरम का सृजन वर्ष 1875 में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा किया गया था और इसका प्रथम वाचन वर्ष 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कोलकाता में किया था। वर्ष 1950 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इसे राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत राष्ट्रवाद, एकता और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक बना।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर 2025 को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रव्यापी उत्सव मनाने का निर्णय लिया है। स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने भी इस अवसर पर विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू करने का निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर 7 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के 18 स्थानों पर 150 कार्यकतार्ओं द्वारा सामूहिक वंदे मातरम गायन एवं सभा का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही 8 से 15 नवम्बर तक सभी जिला मुख्यालयों पर सामूहिक गायन एवं सभाओं का आयोजन होगा। विधानसभा और मंडल स्तर पर भी सांसदों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में कार्यक्रम होंगे, जिनमें आमजन की व्यापक सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।

इसके अतिरिक्त अभियान के तहत तिरंगा यात्राएँ, प्रभात फेरियाँ, बाइक रैलियाँ, तथा प्रदर्शनियाँ और साहित्यिक गतिविधियाँ भी आयोजित की जाएंगी। प्रदेश की राजधानी सहित सभी जिलों में प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जबकि विद्यालयों और महाविद्यालयों में निबंध, कविता और चित्रकला प्रतियोगिताएँ कराई जाएंगी, ताकि नई पीढ़ी राष्ट्रगीत की प्रेरणा और उसके महत्व से परिचित हो सके।

चौधरी ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ नवभारत के उस संकल्प का प्रतीक है जिसमें हर नागरिक अपने भीतर भारत माता के प्रति श्रद्धा, सेवा और समर्पण की भावना को जीवित रखे। यही भावना भारत को विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम के संदेशवाहक के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

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