संभल के प्राचीन मनोकामना मंदिर को नई पहचान दिलाने की पहल : मंत्री जयवीर सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि पर्यटन विभाग ऐतिहासिक नगरी संभल के प्राचीन मनोकामना मंदिर को पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाने जा रहा है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
बयान के अनुसार, संभल जिले के प्राचीन तीर्थस्थलों और कुओं के संवर्धन अभियान के तहत उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम प्राचीन मनोकामना मंदिर के समग्र विकास की ओर अग्रसर है और इस योजना पर 1.71 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी।
सिंह ने बताया कि संभल जिला प्राचीन इतिहास और पौराणिक परंपराओं से समृद्ध क्षेत्र रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिले में कूपों, देव स्थलों और प्राचीन मंदिरों के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिए व्यापक प्रयास कर रही है तथा इसी श्रृंखला में अब 141 वर्ष पुराने मनोकामना मंदिर के आसपास पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जाएगा ताकि श्रद्धालुओं व पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सके।
मंत्री ने बताया, “पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु का 10वां अवतार कल्कि संभल में जन्म लेगा। संभल के प्रसिद्ध मनोकामना मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड भी है, जो हनुमान मंदिर, राम जानकी मंदिर और देवजी मंदिर जैसे कई अन्य छोटे मंदिरों से घिरा है। हर वर्ष यहां होने वाला भंडारा संत बाबा राम मणि की पुण्य स्मृति को समर्पित होता है। भंडारे में जिले और आसपास के क्षेत्र से आए भक्त भावपूर्वक सहभागिता करते हैं।”
संभल के चंदौसी से करीब चार किलोमीटर दूर गनेशपुर गांव में करीब 141 साल पुराना प्राचीन मनोकामना मंदिर है। वर्ष 1884 में मनोकामना मंदिर का निर्माण करवाया गया था और यह मंदिर 20 बीघा जमीन पर बना है, जिसमें राधा कृष्ण का मंदिर और शिवालय के अलावा मनोकामना कुंड है।
जयवीर सिंह ने बताया कि क्षेत्रफल की दृष्टि से संभल छोटा जिला है लेकिन पर्यटन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में जिले में 43,58,329 पर्यटक आए थे, वहीं 2025 के शुरुआती महीने जनवरी से मार्च तक यहां तकरीबन 13,05,970 पर्यटक पहुंचे। पर्यटन विभाग को साल के अंत तक पर्यटकों का आंकड़ा 45 से 50 लाख के बीच रहने का अनुमान है।





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