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पूर्वांचल में गंगा तो पश्चिम में यमुना का तांडव जारी..45 गांव बन गए टापू, टूटा 47 साल का पुराना रिकार्ड

लखनऊ। पूर्वांचल में गंगा तो पश्चिम में यमुना का तांडव से जनजीवन अस्त व्यस्त है। दोनों नदियों का जलस्तर बेकाबू हो रहा है। ऐसे में कई जिलों में गांव ही नहीं अब शहरी क्षेत्र भी जलमग्न हैं। वाराणसी की स्थिति यह है कि वहां घाटों के पानी में डूब जाने से पितृपक्ष में तर्पण करने वालों को सड़कों और गलियों में बैठना पड़ रहा है।

मथुरा में तो शहरी कालोनियों में एक-एक मंजिल तक पानी भर गया है, जिले के 45 गांव टापू बन गए हैं। यहां हालात इतने खराब हैं कि लोगों को 1978 की बाढ़ की याद आने लगी है। 47 साल का पुराना रिकार्ड टूटता नजर आ रहा है। इधर, बलिया में पहले से ही गंगा खतरा बिंदु से ऊपर बह रहीं हैं, गाजीपुर और चंदौली में बाढ़ का पानी कई गांव में पहुंच गया है।

बनारस में नदी का जलस्तर निरंतर बढ़ने से वरुणा किनारे के आठ मोहल्लों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। सात राहत शिविर खोल दिए गए हैं। यहां करीब 150 से ज्यादा परिवारों के 600 से अधिक लोग ने आश्रय डाला है। बलिया में कई गांवों के स्कूल, सड़क पानी में डूब गए हैं। गंगा यहां खतरा बिंदु 57.615 मीटर से 1.18 मीटर ऊपर बह रही हैं।

जलस्तर में करीब दो सेमी प्रति घंटे की वृद्धि हो रही है। इधर, गाजीपुर और चंदौली में बाढ़ का पानी कई गांव में पहुंच गया है। चंदौली के बलुआ घाट की सभी सीढ़ियां और शवदाह स्थल फिर डूब गया। मिर्जापुर और भदोही में गंगा सबसे तेजी से बढ़ रहीं हैं। फर्रुखाबाद में भी गंगा व रामगंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

उन्नाव में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर

सोमवार सुबह तक उन्नाव में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ते हुए खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया। आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का संकट गहरा गया है। तटीय इलाकों में हजारों घर पानी से भर गए हैं। कई मकान एक मंजिल तक डूब चुके हैं। लोग जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों पर जा रहे है।

गोरखपुर में सरयू में उफान से ग्रामीण भयभीत

गोरखपुर में सरयू नदी के कटान से ग्रामीणों में दहशत हैं। बड़हलगंज विकास खण्ड के दियारा क्षेत्र में दर्जनों गांव पर भी बाढ़ का संकट मंडराने लगा है। सरयू नदी के कटान और बाढ़ से ज्ञानकोल नई बस्ती के ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बाढ़ के पानी से जहां गांव का संपर्क मार्ग जलमग्न हो गया है।

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