’15 सीट से कम पर नहीं लड़ेंगे चुनाव, कितना सहेंगे अपमान’, मांझी ने 10 अक्तूबर को बुलाई पार्टी की बैठक, ले सकते हैं बड़ा फैसला

एनडीए में सीट शेयरिंग पर पेंच फंसता जा रहा है। जीतन राम मांझी 15 सीट से कम पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने पटना में पार्टी बोर्ड की 10 अक्तूबर को बैठक बुलाई है। इसमें वे कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम हम NDA के नेताओं से प्रार्थना कर रहे हैं, हम अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं। हमें अपमानित होने से बचाइये। मांझी ने दिल्ली में होनेवाली एनडीए की बैठक से पहले यह बात कही।
अपमान का घूंट कितने दिन सहेंगे
मांझी ने अपमानित होने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा-2015 में हमारी पार्टी बनी, चार हमारे एमएलए हैं, एक विधान परिषद में हैं, मंत्री हैं। इसके बाद भी दो जगह हमको अपमानित होना पड़ा, मतदाता सूची का वितरण हो रहा था तो हमारे लोगों को मतदाता सूची नहीं मिली क्योंकि मान्यता प्राप्त नहीं थे, बेइज्जती है कि नहीं? दसरी बात कि चुनाव आयोग के लोग आए इन लोगों ने सभी पॉलीटिकल पार्टी को बुलाया लेकिन हमें नहीं बुलाया क्योंकि हम निबंधित पार्टी थे, यह अपमान का घूंट कितने दिन सहन करेंगे?
मांझी को अपमानित न होने दे
मांझी ने कहा कि जिसके पास एक विधायक भी नहीं है वह अपने आप को बड़ा समझ रहा है। लेकिन हम आग्रह करते हैं, प्रार्थना करते हैं और यह एनडीए का भी फर्ज बनता है की मांझी को अपमानित न होने दे। पिछले विधानसभा चुनाव में विधानसभा में हमको 7 सीट मिली थी और हम चार पर चुनाव जीते थे, यानी 60% हमारा स्कोरिंग रेट था।
15 सीटें नहीं मिलने पर चुनाव लड़ने का क्या फायदा
मांझी ने कहा कि अगर हमारी पार्टी को 15 सीट मिलती है तो 8-9 सीट हम जीत लेंगे। इससे हम पॉलीटिकल पार्टी के रूप में स्थापित हो जाएंगे। अगर 15 सीट नहीं मिलती है तो हम निबंधित पार्टी ही रह जाएंगे तो चुनाव लड़ने से क्या फायदा है, हम चुनाव नहीं लड़ेंगे। मांझी ने कहा कि हम नरेंद्र मोदी को चाहते हैं, उनके चेला है, जो मोदी जी का इशारा होगा, एनडीए का होगा हम एड़ी चोटी का जोर लगाकर काम करेंगे।
अलग होने का कोई सवाल नहीं
मांझी ने कहा कि हमारी इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है कि कौन क्या मांग रहा है, इससे हमको क्या मतलब है, सबको मिले सबके लिए शुभकामनाएं। लेकिन मैं अपनी बात कह रहा हूं। हम तो आग्रह कर रहे हैं कि हम जो अपमानित हो रहे हैं अपमानित होने से बचाइए, अलग होने का कोई सवाल नहीं है।
हम एक विकल्प यह भी सोचते हैं कि 6% वोट लेना है। अभी जहां-जहां एनडीए की बैठक हुई उसमें HAM पार्टी के 70% हमारे कार्यकर्ता रहे, जेडीयू के लोग मंच पर थे लेकिन हमारे कार्यकर्ता मंच के नीचे थे। बिहार में 70- 80 सीटें ऐसी है जहां 20 से 25 हजार वोट हम ले सकते हैं, हम अपनी पार्टी और अपने पॉलिटिकल कैरियर ठीक रखने के लिए 6 प्रतिशत वोट प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिए यही अंतिम विकल्प है कि हम 15 सीटों पर चुनाव लड़ें।