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भाजपा शासित राज्यों में लड़कियों के अपहरण की घटनाओं में वृद्धि… देखें NCRB की रिपोर्ट के चोकाने वाले खुलासे

नागपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में नाबालिग लड़कियों के अपहरण की घटनाओं में तेजी से वृद्धि दर्ज की गयी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है। आंकड़े के अनुसार भाजपा शासित राज्यों में औसतन प्रतिदिन 60 से अधिक लड़कियों का अपहरण होता है, जिससे इन क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में केवल भाजपा शासित तीन राज्यों-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में ही नाबालिग लड़कियों के अपहरण के 25,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इसके विपरीत केरल, तमिलनाडु, पंजाब और झारखंड जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों में अपहरण की कुल संख्या काफी कम रही, जहां कुल मिलाकर केवल 2,200 से अधिक अपहरण हुए।

आंकड़ों के अनुसार भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन द्वारा शासित महाराष्ट्र में बच्चों से जुड़े अपहरण के 13,150 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 9,850 लड़कियां थीं। मध्य प्रदेश में लड़कियों से जुड़े 9,031 मामले दर्ज किए गए, जबकि बिहार में 5,485 मामले दर्ज किए गए। इसकी तुलना में, तमिलनाडु में 161, केरल में 155 और पंजाब में 1,329 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के अनुसार ये अपराध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत आते हैं जिनमें धारा 363 (अपहरण), 365 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 366 (शादी के लिए अपहरण) और 369 (10 साल से कम उम्र के बच्चे का चोरी करने के इरादे से अपहरण) शामिल हैं। साल-दर-साल तुलना एक बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है। वर्ष 2022 और 2023 के बीच प्रमुख भाजपा शासित राज्यों में अपहरण के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

उत्तर प्रदेश में 401 मामले, बिहार में 2,489, महाराष्ट्र में 846, मध्य प्रदेश में 1,359 और राजस्थान में 1,058 मामले सामने आए। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में मामलों में लगभग दोगुनी वृद्धि देखी गई है। आलोचकों का तर्क है कि ये आंकड़े भाजपा के लंबे समय से चले आ रहे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के विपरीत हैं, जिसका उद्देश्य लड़कियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण है।

हालांकि इस वृद्धि के पीछे अलग-अलग कारण हैं लेकिन कार्यकर्ता और विपक्षी नेता लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में तत्काल नीतिगत ध्यान, बेहतर पुलिस व्यवस्था और सामुदायिक स्तर पर हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

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