चारबाग रेलवे स्टेशन ने पूरे किए 100 साल, अंग्रेजों ने 1923 में 70 लाख रुपये से शुरू कराया था निर्माण

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन ने एक अगस्त को अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए। इस उपलक्ष्य में रविवार को स्टेशन परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के प्रबंधक ने एक बुकलेट का विमोचन किया।
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के प्रबंधक सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है। उत्तर रेलवे का सबसे खूबसूरत स्टेशन शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस स्टेशन से प्रतिदिन ढाई सौ से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं।
लाखों यात्री स्टेशन से यात्रा करते हैं। ये स्टेशन अपने में पूरा इतिहास समेटे है। यात्रियों की सुविधा के लिए निर्माण कार्य चल रहा है। सेकंड एंट्री का काम जारी है। बहुत जल्द यात्रियों की सुविधा के लिए इसे शुरू कर दिया जाएगा। चारबाग देश के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में भी है।
1914 में बिशप जॉर्ज हरबर्ट ने रखी थी नींव
चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव 1914 में बिशप जॉर्ज हरबर्ट ने रखी थी। नौ वर्ष यानी 1923 में ये स्टेशन बनकर तैयार हो गया। 1925 में इसे विस्तार दिया गया। उस समय स्टेशन की बिल्डिंग बनाने में 70 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आया था।
जैकब हॉर्निमैन ने बनाया था नक्शा
जैकब हॉर्निमैन ने इसका नक्शा बनाया था। अब इस स्टेशन को मॉडर्न बनाया जा रहा है। नया रूप और आकार दिया जा रहा है, लेकिन स्टेशन की मुख्य ऐतिहासिक इमारत से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा रही है।
गांधी और नेहरू की पहली मुलाकात
चारबाग रेलवे स्टेशन अपने स्थापत्य और इतिहास के कारण दुनिया के अनोखे रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है। राजपूत, अवधी और मुगल वास्तुकला का ये अद्भुत संगम अपनी भव्य छतरियों, कलात्मक गुंबदों और शतरंज की विशाल जैसी अनोखी छतों के साथ आज भी समय की कसौटी पर खड़ा है। 100 वर्षों से स्टेशन लाखों मुसाफिरों की कहानियां, मुलाकातों और विदाईयों का साक्षी रहा है।
26 दिसंबर 1916 को चारबाग ने इतिहास का एक सुनहरा पल देखा जब यहां महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहली मुलाकात हुई। यह स्टेशन अंग्रेजी हुकूमत के दौर और आजादी की लहर का साक्षी रहा है। अंग्रेजी दौर की निशानियां आज भी सुरक्षित हैं।
स्टेशन की फर्श पर सोते दिखे यात्री
चारबाग रेलवे स्टेशन के 100 साल पूरे होने पर लखनऊ मंडल के डीआरएम ने सोशल मीडिया हैंडल से तस्वीरें साझा की गईं। इनमें स्टेशन पर लगाए गए एक सदी की यात्रा लिखे सेल्फी प्वाइंट को दिखाया गया। रेलवे ने इसे यात्रियों के आकर्षण का केंद्र बताकर जश्न का माहौल बनाने की कोशिश की। लेकिन, उसी तस्वीर में सेल्फी प्वाइंट के ठीक बगल फर्श पर सोते यात्रियों का दृश्य भी कैद हो गया, जो रेलवे की अव्यवस्था और हकीकत को उजागर करता है। वहीं, यात्रियों का कहना है कि वेटिंग रूम महंगा होने से फर्श पर सोना पड़ता है।