
कानपुरः कानपुर के महाराजपुर थाने में गिट्टी-मौरंग कारोबारी से कथित वसूली के मामले में सात पुलिसकर्मियों को तो क्लीन चिट मिल गई, लेकिन एक-दूसरे को बदनाम करने के चक्कर में अब सभी मुसीबत में फंस गए हैं। जांच में सामने आया है कि ये सभी पुलिसकर्मी आपस में एक-दूसरे के खिलाफ सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर रहे थे। अब इन सभी को नोटिस थमा दिया गया है और जल्द ही विभागीय कार्रवाई होगी।
क्या था मामला
दरअसल, सरसौल के रहने वाले शीलू यादव ने आरोप लगाया था कि 18 सितंबर को सरसौल चौकी के पास दो अंडर-ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर ने उन्हें रोका और जुआ खेलने व अवैध खनन का झूठा केस लगाकर जेल भेजने की धमकी दी। 2 लाख रुपये की मांग की गई, जो बाद में 50 हजार में सेटल हुई। शीलू ने 26 हजार रुपये दे दिए, लेकिन बाकी पैसे के लिए पुलिसकर्मी बार-बार घर आने लगे। परेशान होकर शीलू ने वीडियो वायरल कर दिया और खुदकुशी तक की धमकी दे डाली।
ACP की जांच के बाद सभी लाइन हाजिर
मामला तूल पकड़ा तो डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता ने जांच ACP कैंट आकांक्षा पांडे को सौंपी। जांच में सब-इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार, आशीष, विष्णु कुमार, रवि शंकर, शैलेंद्र सिंह और कांस्टेबल बंटी कुमार व सुल्तान सिंह की भूमिका संदिग्ध लगी। 25 सितंबर को सभी सात को लाइन हाजिर कर दिया गया।
डीसीपी ने थमाया नोटिस
अब ACP कैंट की अंतिम रिपोर्ट में वसूली का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला, यानी क्लीन चिट तो मिल गई, लेकिन सभी सात पुलिसकर्मी एक-दूसरे के खिलाफ वीडियो वायरल करने के दोषी पाए गए। सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। कुछ ने जवाब दे दिया, कुछ का अभी इंतजार है। जवाब मिलते ही विभागीय कार्रवाई शुरू हो जाएगी। फिलहाल इस मामले की चर्चा इलाके में जोर-शोर से है।




