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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कफ सिरप कांड : 16 बच्चों की मौत मामले में जनहित याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर जहरीले कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके इसकी जांच और औषधि सुरक्षा तंत्र में प्रणालीगत सुधार का अनुरोध किया गया है।

अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में इन घटनाओं की अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध किया गया है। साथ ही उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या विशेषज्ञ समिति के गठन का आग्रह भी किया गया है।

जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि विभिन्न राज्यों में कथित तौर पर जहरीले कफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मौत से संबंधित सभी लंबित प्राथमिकी और जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हस्तांतरित कर दी जाएं।

इसमें निष्पक्षता और एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में जांच का अनुरोध किया गया है। याचिका में दलील दी गई है कि अलग-अलग राज्य-स्तरीय जांचों के कारण जवाबदेही भी बंट गई है, जिससे बार-बार चूक हो रही है और खतरनाक ‘फॉर्मूलेशन’ (औषधि) बाजार में पहुंच रहे हैं।

यह याचिका मध्य प्रदेश और राजस्थान से कथित तौर पर एक खास तरह का कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत होने की खबरों के बीच आयी है। याचिका में अदालत से केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर एक न्यायिक या विशेषज्ञ निकाय गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि उन नियामक कमियों की पहचान की जा सके जिनके कारण घटिया दवाइयां बाजार में पहुंचीं।

इसमें अदालत से यह भी आग्रह किया गया है कि आगे किसी भी बिक्री या निर्यात की अनुमति देने से पहले सभी संदिग्ध उत्पादों का एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के माध्यम से विषाक्तता परीक्षण अनिवार्य किया जाए।

सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा में बच्चों की गई जान

बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक दोनों राज्यों में कुल 18 बच्चों की जान जा चुकी है, जिनमें से 16 मौतें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में और 2 राजस्थान के भरतपुर व सीकर में दर्ज की गई हैं।  जांच में सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रसायन पाया गया, जो किडनी फेलियर का कारण बन रहा है।

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