
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘नॉन-हाइब्रिड’ (मोटे) धान पर एक प्रतिशत की ‘रिकवरी’ छूट की मंगलवार को घोषणा की जो ‘हाइब्रिड’ धान पर पहले से दी जा रही छूट के समान है। यह धान से चावल निकालने की प्रक्रिया में होने वाले अनाज की ‘रिकवरी’ (उपज) पर सरकार द्वारा दी गई रियायत या छूट। इससे राज्य के करीब 15 लाख किसानों को फायदा होगा। वहीं राजकोष पर 166 करोड़ रुपये का भार बढ़ेगा।
प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने यहां पत्रकारों से कहा कि जब ‘हाइब्रिड’ धान से चावल निकाला जाता है तो केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार ‘रिकवरी’ दर 67 प्रतिशत होती है। उत्तर प्रदेश सरकार हालांकि पहले से ही ‘हाइब्रिड’ धान की ‘रिकवरी’ पर तीन प्रतिशत की छूट दे रही है और इस छूट पर सालाना लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च करती है। खन्ना ने कहा कि यही लाभ अब मोटे धान पर भी लागू किया जाएगा जिसमें एक प्रतिशत की ‘रिकवरी’ छूट दी जाएगी।
खन्ना ने कहा, ‘‘इस (छूट) पर 166 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इससे राज्य के लगभग 15 लाख चावल उत्पादक किसानों को लाभ होगा।’’ उन्होंने कहा कि इससे मंडियों में किसानों को धान का बढ़ा हुआ भाव मिलेगा। इससे किसानों को सीधा-सीधा फायदा होगा।
यह निर्णय किसान व मजदूर हित के साथ-साथ धान मिल संचालकों के भी हित में है। कुल मिलाकर इससे पूरे उद्योग को बल मिलेगा। उत्तर प्रदेश में धान की सरकारी खरीद जारी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक अक्टूबर से जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक नवंबर से यह खरीद शुरू की गई थी।
सीएम योगी ने अपने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि ”राइस मिलर्स न केवल धान क्रय प्रक्रिया की रीढ़ हैं, अपितु प्रदेश में रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण आधार भी हैं। विगत दिनों नॉन-हाइब्रिड धान में अपेक्षित रिकवरी न मिलने की समस्या संज्ञान में आई थी। अतः अन्नदाता किसान और राइस मिलर्स की भावनाओं का यथोचित सम्मान करते हुए निर्णय लिया गया है कि नॉन-हाइब्रिड धान की कुटाई में 1% रिकवरी छूट की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार अपने बजट से करेगी। इस हेतु ₹167 करोड़ की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस निर्णय से 13-15 लाख अन्नदाता किसानों व 2000 से अधिक राइस मिलर्स को सीधा लाभ मिलेगा तथा प्रदेश में 02 लाख रोजगार के अवसर सुदृढ़ होंगे। मुझे विश्वास है कि यह निर्णय चावल मिल उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान करेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देगा।”




