‘छुकछुक’ में सफर बिना बच्चों की अधूरी है चिड़ियाघर की सैर, मायूस होकर लौट रहे बच्चे

लखनऊ: पापा, ट्रेन में बैठना है। उस पर बैठकर ही चिड़ियाघर की सैर करेंगे। इस तरह की आवाजें नवाब वाजिद अली शाह प्राणि के मुख्यद्वार में शामिल होते ही सुनने को मिलती हैं। बच्चों की जिद पर अभिभावक चंद्रपुरी स्टेशन के नजदीक बने टिकट घर पर पहुंच गए, लेकिन महीनेभर से यह बालट्रेन बंद है। चिड़ियाघर के चंद्रपुरी स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ है। ट्रेन खराब होने के कारण रोजाना कई अभिभावक अपने बच्चों के साथ यहां से मायूस होकर लौटने को मजबूर हैं।
चिड़ियाघर कर्मचारियों के अनुसार नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में दर्शकों की भीड़ रोज सुबह जुटनी शुरू हो जाती है। हर दिन आठ से दस स्कूलों के बच्चे यहां पर पिकनिक के साथ वन्यजीवों के बारे में जानकारी के लिए यहां पहुंचते हैं। करीब दस से 15 हजार दर्शक यहां पर जुटते हैं। चिड़ियाघर की बाल ट्रेन का यहां आने वाले दर्शकों में खासा क्रेज है। बाल ट्रेन में सफर किए बिना चिड़ियाघर की सैर अधूरी है।
इन बाड़ों से होकर है गुजरती बाल ट्रेन
बाल ट्रेन का सफर चंद्र पुरी स्टेशन से शुरू होकर झूला पार्क, मगरमच्छ का बाड़ा, सफेद बाघ, जिराफ बाड़ा, टाइगर हाउस, डीयर लाइन होते हुए वापस पहुंचती हैं। ट्रेन में बैठने के दौरान दर्शक सेल्फी लेते हुए दिखते हैं। सबसे खास बात यह है कि ट्रेन की बनावट ही लोगों को ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। स्टेशन पर खड़ी रहने पर तमाम दर्शक इस ट्रेन के सामने खड़े होकर सेल्फी लेते हुए देखे जा सकते हैं।
2014 में शुरू हुई थी यह बाल ट्रेन
28 फरवरी 2014 को बाल ट्रेन का संचालन शुरू किया गया। इसे लेकर लखनऊ प्राणि उद्यान में एक भव्य समारोह में किया गया। इसमें एक इंजन सहित चार बोगियां है। इस बालट्रेन में 84 लोगों के बैठने की क्षमता है। ट्रेन का कपलर टूटने के कारण उसका संचालन नहीं किया जा रहा है। कपलर को बदलने के लिए गुजरात स्थित कंपनी को आर्डर दिया जा चुका है। अगले हफ्ते तक ट्रेन का संचालन शुरु हो जायेगा। इससे एक बार फिर दर्शक इस बाल ट्रेन में सफर कर उसका लुत्फ उठा सकेंगे।
– निदेशक, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, अदिति शर्मा