उत्तर प्रदेश

शिक्षक दिवस विशेष: बच्चों का भविष्य संवार रहे गुरुओं का भी हो रहा सम्मान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2017 के बाद से शिक्षा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री योगी का स्पष्ट मानना है कि बच्चों का भविष्य तभी संवर सकता है जब शिक्षक सम्मानित और सक्षम हों। इसी दृष्टिकोण से सरकार ने न केवल लाखों शिक्षकों को पारदर्शी तरीके से नियुक्ति दी, बल्कि उनके सम्मान और कौशल विकास को भी सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा। योगी सरकार ने यह साबित कर दिया है कि यदि शिक्षक सशक्त और सम्मानित होंगे तो शिक्षा व्यवस्था स्वत: मजबूत होगी। आज उत्तर प्रदेश में शिक्षक न केवल नियुक्तियों और पारदर्शी व्यवस्थाओं से लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक सम्मान और पेशेवर विकास के अवसर भी मिल रहे हैं। यही वजह है कि बच्चों का भविष्य भी पहले से अधिक उज्ज्वल और सुरक्षित हो रहा है।

निष्पक्ष एवं पारदर्शी प्रक्रिया से नियुक्ति
योगी सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया। नतीजा यह रहा कि हजारों युवाओं को शिक्षक बनने का अवसर मिला और प्रदेश के स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव पड़ी। इस दौरान बेसिक शिक्षा विभाग में 1,26,371 शिक्षकों की नियुक्ति की गई। वहीं, राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 6,808 सहायक अध्यापक, 1,939 प्रवक्ता और 219 प्रधानाचार्य पदों पर चयन हुआ। यही नहीं, अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में 34,074 शिक्षकों का चयन किया गया, जबकि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (रउएफळ) और डायट इकाइयों में 1,266 प्रवक्ताओं की नियुक्ति हुई। इन नियुक्तियों ने शिक्षा व्यवस्था में नई ऊर्जा भर दी और बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल मिला।

पुरस्कारों और सम्मान से बढ़ा उत्साह
योगी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि शिक्षक केवल नौकरी तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें उनके कार्य के लिए पहचान और सम्मान भी मिले। वर्ष 2018 से अब तक बेसिक शिक्षा के 379 और माध्यमिक शिक्षा के 85 शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार प्रदान किया गया। अध्यावपकों को दी जाने वाली पुरस्कार राशि को 10,000 से बढ़ाकर 25,000 किया गया। पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों को नि:शुल्क बस यात्रा, अतिरिक्त वेतन वृद्धि और सेवा विस्तार जैसे विशेष लाभ दिए गए। इसके अलावा, स्ववित्तपोषित विद्यालयों के शिक्षकों के लिए मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार योजना भी शुरू की गई। इन कदमों ने शिक्षकों का मनोबल बढ़ाया और उन्हें नई ऊर्जा के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

मानव सम्पदा पोर्टल से हर समस्या का समाधान
डिजिटल युग में शिक्षकों की समस्याओं को तेजी से हल करने के लिए योगी सरकार ने मानव सम्पदा पोर्टल को विकसित किया। इस पोर्टल से अवकाश संबंधी प्रकरण,वेतन भुगतान, सेवा पुस्तिका का रखरखाव, मृतक आश्रित नियुक्ति, स्थानांतरण, पदोन्नति, कारण बताओ नोटिस का निस्तारण आदि सभी कार्य आसानी से किए जा रहे हैं। केवल वर्ष 2025-26 में ही 20,182 शिक्षकों का अंतर्जनपदीय समायोजन किया गया, जबकि 16,646 का अंतर-पारस्परिक स्थानांतरण संपन्न किया गया। इसके साथ ही, 543 शिक्षकों का छात्र-शिक्षक अनुपात आधारित स्थानांतरण हुआ। साथ ही 383 सहायक अध्यापक और प्रवक्ताओं को प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति दी गई।

शिक्षकों का सतत कौशल विकास
योगी सरकार का मानना है कि नई पीढ़ी को बेहतर शिक्षा देने के लिए शिक्षकों को आधुनिक तकनीक और ज्ञान से लैस करना जरूरी है। इसी उद्देश्य से बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। 2.41 लाख शिक्षकों को जीवन कौशल, सुरक्षा, गणित की नवाचारी विधियां, डिजिटल लिटरेसी, कोडिंग, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रशिक्षण दिया गया। 1.30 लाख प्रधानाध्यापकों/नोडल टीचर्स को समावेशी शिक्षा के लिए 10 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। 4.53 लाख शिक्षकों व शिक्षा मित्रों को निपुण भारत मिशन के अंतर्गत प्रशिक्षण मिला। शिक्षकों को आॅनसाइट सपोर्ट देने के लिए 5,500 मेंटर्स की नियुक्ति की गई। दीक्षा पोर्टल पर 16,000 डिजिटल विषयगत सामग्री अपलोड की गई और शिक्षकों को पॉकेट बुकलेट्स भी उपलब्ध कराई गईं।

डायट बने सेंटर आॅफ एक्सीलेंस
प्रदेश की सभी डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) को सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता और भी बेहतर हो सके और शिक्षा व्यवस्था में उत्कृष्टता लाई जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button