आधार नागरिकता, पता या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं, पहचान का उपयोगी दस्तावेज; इंटरनेशनल समिट में 40 वक्ताओं का व्याख्यान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय शिखर सम्मलेन के दूसरे दिन देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों से आये लगभग 40 विषय विशेषज्ञों ने प्रतिभाग कर अपने व्याख्यान दिये। इस अवसर पर संस्थापक निदेशक डॉ. जीके गोस्वामी एवं अपर निदेशक राजीव मल्होत्रा ने अतिथि वक्ताओं को प्रतीक चिन्ह भेट कर उनका स्वागत एवं सम्मान किया।
भुवनेश कुमार आईएएस सीईओ आधार ने गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के बदलते स्वरूप विषय पर भारत में गोपनीयता कानूनों के विकास की चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता, पता या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है, बल्कि केवल पहचान सत्यापन के लिए उपयोगी दस्तावेज है। यह 182 दिनों से अधिक भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों को भी दिया जाता है।
इस अवसर पर पुलिस उप महानिरीक्षक साइबर पवन कुमार ने कहा कि किसी भी अपराध से निपटने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम उसे स्वीकारना और उसके अस्तित्व को समझना है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश तलबंत सिंह ने डिजिटल साक्ष्य को किसी भी डिजिटल रूप में निर्मित और संग्रहित डेटा के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि बढ़ते साइबर अपराध के कारण इसकी आवश्यकता अत्यंत बढ़ गई है।
इस अवसर पर अमित कुमार, डॉ. अमित दुबे, अतुल कुमार ओझा, पवन शर्मा, डॉ. मनीष राय, पंकज वर्मा, चिरंजिब मुखर्जी, अतुल यादव, सीएम सिंह, डॉ. श्रुतिदास गुप्ता, संतोष तिवारी, डॉ. सपना, डॉ. ऋतू छाबड़ा, डॉ. नीताशा, डॉ. पोरवी सिंह, बृजेश सिंह, ई. कार्तिकेय सहित संस्थान के शैक्षणिक संवर्ग के संकाय उपस्थित रहे।