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“राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का संदेश: शोध वही जो देश के काम आए”

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नवाचार आधारित शोध को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने शोध कार्यों की गुणवत्ता और उपयोगिता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे उत्कृष्ट शोध कार्यों का प्रत्यक्ष लाभ समाज और देश को मिलता है।

राज्यपाल बुधवार को यहां विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और प्रदेश के विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित बैठक में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि जब कोई विश्वविद्यालय किसी शोध परियोजना का प्रस्ताव भेजता है तो उसकी विधिवत प्रस्तुतीकरण और स्क्रीनिंग अनिवार्य होनी चाहिए। साथ ही परियोजना की प्रगति की नियमित समीक्षा भी आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि जो भी फंड विश्वविद्यालयों को मिलते हैं, उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित की जानी चाहिए। यदि किसी परियोजना को अस्वीकृत किया जाता है तो उसका कारण संबंधित संस्थान को बताया जाना चाहिए, ताकि आवश्यक संशोधन के साथ दोबारा प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सके। राज्यपाल ने कहा कि परिषद और विश्वविद्यालयों के बीच सुगठित संवाद और सहयोग होना चाहिए। विषय विशेषज्ञों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अनुभवी और विषय की गहराई में काम करने वाले हों।

उन्होंने कहा कि यदि पुरानी नीतियां शोध एवं विकास की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं, तो उनकी समीक्षा कर नई और व्यावहारिक नीतियां बनाई जाएं, जिससे शोध कार्य में गुणवत्ता और गति सुनिश्चित हो सके। राज्यपाल ने कहा कि प्रदूषण, कृषि, जलवायु परिवर्तन, भूगर्भीय हलचल, तापमान वृद्धि और भूकंप जैसी समस्याएं आज के समय की बड़ी चुनौतियां हैं, जिन पर गहन और नवाचार आधारित शोध की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा शोध के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि समाजोपयोगी और व्यावहारिक शोध कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। बैठक में प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पंधारी यादव समेत वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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