करोड़पति कानूनगो की एक गलती ने खोला 41 संपत्तियों का राज, डिमोशन कर बनाया गया लेखपाल

कानपुर में भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां कानूनगो आलोक दुबे की एक गलती ने उनके काले कारनामों की पोल खोल दी। जांच में उनके पास 41 संपत्तियों का खुलासा हुआ है। जमीन के अवैध बैनामा (विक्रय विलेख) के मामले में फंसने के बाद जिलाधिकारी (डीएम) के आदेश पर आलोक दुबे को कानूनगो के पद से हटाकर लेखपाल बना दिया गया है। आरोपी कानूनगो के खिलाफ मार्च 2025 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस पर जल्द चार्जशीट दाखिल होने की संभावना है।
क्या थी कानूनगो आलोक दुबे की वो ‘एक गलती’?
कानूनगो आलोक दुबे की मुश्किलें तब शुरू हुईं, जब संदीप सिंह नामक व्यक्ति की शिकायत पर सिंहपुर कठार और रामपुर भीमसेन की विवादित जमीनों की जांच हुई। ये जमीनें न्यायालय में विचाराधीन थीं, और न तो विक्रेता का नाम खतौनी में दर्ज था, न ही इनके बिक्री की कानूनी अनुमति थी। इसके बावजूद, आलोक दुबे ने 11 मार्च 2024 को इन जमीनों पर पहले वरासत (उत्तराधिकार) दर्ज की और उसी दिन बैनामा भी कर दिया। इसके बाद, गाटा संख्या 207 की जमीन 19 अक्टूबर 2024 को आरएन इंफ्रा नामक निजी कंपनी को बेच दी गई। जांच में पाया गया कि दुबे ने अपने पद का दुरुपयोग किया, मिलीभगत की और हितों के टकराव को बढ़ावा दिया। यह गलती उनकी गिरफ्तारी का कारण बनी।
41 संपत्तियों का खुलासा और कार्रवाई
मार्च 2025 में थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज होने के बाद आलोक दुबे के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें निलंबित कर दिया गया। सहायक महानिरीक्षक निबंधन की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि दुबे 41 संपत्तियों में संलिप्त थे। जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने विवादित जमीनों के अवैध बैनामे किए, बिना अनुमति संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की, और सरकारी आचरण नियमों का उल्लंघन किया।
कानूनगो के पद से हटाकर लेखपाल बनाया
जिलाधिकारी ने सख्त रुख अपनाते हुए दुबे को कानूनगो के पद से हटाकर लेखपाल बना दिया। इस मामले में क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। डीएम ने स्पष्ट किया कि राजस्व अभिलेखों में धोखाधड़ी और साठगांठ जैसे अपराध जनता के विश्वास को तोड़ते हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आरोपी कानूनगो आलोक दुबे के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई एसडीएम सदर स्तर पर जारी है। पुलिस जल्द ही इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है। यह मामला राजस्व प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।