पीएम मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती पर किया याद, दो दशक पहले पूरी की थी ‘मां भारती के सपूत’ की आखिरी इच्छा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने ‘मोदी आर्काइव’ अकाउंट की एक पोस्ट को साझा करते हुए बताया, कैसे दो दशक पहले ‘मां भारती के सपूत’ श्यामजी वर्मा की अंतिम इच्छा को पूर्ण करने के लिए ‘अत्यंत संतोषजनक’ प्रयास किए गए। पीएम मोदी ने युवाओं से इस पोस्ट को अधिक से अधिक पढ़ने की अपील भी की है।
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए पीएम मोदी ने करीब दो दशक पहले श्यामजी कृष्ण वर्मा की आखिरी इच्छा पूरी कर उन्हें सम्मान दिलाया था। पीएम मोदी ने ‘मोदी आर्काइव’ पोस्ट साझा करते हुए बताया कि यह थ्रेड दो दशक पहले किए गए एक अत्यंत संतोषजनक प्रयास पर प्रकाश डालता है, जिसने श्यामजी कृष्ण वर्मा की एक इच्छा को पूरा किया और मां भारती के एक साहसी सपूत को सम्मान प्रदान किया। साथ ही, उन्होंने कहा कि अधिक युवा उनकी महानता और बहादुरी के बारे में पढ़ सकें।
‘मोदी आर्काइव’ नाम के ‘एक्स’ हैंडल से 4 अक्टूबर 2024 को कुछ फोटोज शेयर की गई। फोटोज में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं। पोस्ट में बताया गया कि ‘श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन 1930 में हुआ, इस उम्मीद के साथ कि उनकी अस्थियां एक दिन स्वतंत्र भारत में वापस आएंगी। हालांकि, भारत की आजादी के 56 साल बाद तक उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई।
उनकी इस इच्छा को पूरा करने का संकल्प नरेंद्र मोदी ने लिया। अगस्त 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता सेनानी के अंतिम अनुरोध का सम्मान करते हुए उनकी अस्थियों को जिनेवा से भारत लेकर आए।
22 अगस्त 2003 को सीएम मोदी विले डी जिनेवे और स्विस सरकार से श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां लेने के लिए जिनेवा के सेंट जॉर्ज कब्रिस्तान, स्विट्जरलैंड पहुंचे। जिससे इस देशभक्त की लंबे समय से अधूरी रही इच्छा पूरी हुई।
30 मार्च 1930 को श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन हो गया था और उनकी आखिरी इच्छा थी कि भारत को आजादी मिलने के बाद उनकी अस्थियां स्वदेश लाई जाए।
इसके बाद नरेंद्र मोदी ने एक भव्य ‘विरांजलि यात्रा’ का आयोजन किया, जो एक स्मारकीय यात्रा थी जिसमें श्यामजी की अस्थियों से भरा कलश गुजरात के 17 जिलों से होकर गुजरा, जिसमें दक्षिण गुजरात, मध्य गुजरात और सौराष्ट्र के क्षेत्र शामिल थे और फिर कच्छ के मांडवी में वर्मा परिवार को सौंप दिया गया। अस्थियों को एक विशेष रूप से सुसज्जित वाहन, ‘विरांजलि-वाहिका’ में ले जाया गया और इस यात्रा के दौरान हजारों युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए और इस वीर क्रांतिकारी की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की।