अन्य खबरेंअपराधउत्तर प्रदेशवेब स्टोरी

मासूम की हत्या या रिश्तों की साज़िश? लखनऊ के खुंदरी बाज़ार से दिल दहला देने वाली वारदात!

घटना का पूरा विवरण

लखनऊ के कैसरबाग स्थित खुंदरी बाज़ार में सोमवार शाम एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। एक सात साल की मासूम बच्ची की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। यह हत्या किसी सड़क पर नहीं, बल्कि उसी के घर के भीतर हुई — जहाँ वह खुद को सबसे सुरक्षित मानती थी।

पुलिस के अनुसार, बच्ची की माँ, उसका लिव-इन पार्टनर, और पूर्व पति — इन तीनों को हत्या के शक में हिरासत में लिया गया है।

मकान में जब पुलिस पहुंची, तो बच्ची का शव कमरे में बिस्तर पर पड़ा था। उसके गले पर उंगलियों के निशान थे — जो किसी इंसानी हाथ द्वारा दम घोंटे जाने की ओर इशारा कर रहे थे।

पुलिस का आधिकारिक बयान

ACP कैसरबाग, श्री अमरनाथ यादव ने Talking India को बताया:

“हमें 15 जुलाई को शाम करीब 6:20 बजे सूचना मिली कि खुंदरी बाज़ार स्थित एक घर में बच्ची की संदिग्ध हालात में मौत हुई है।

मौके पर पहुँचने पर देखा गया कि बच्ची के गले पर उंगलियों के निशान मौजूद थे।

माँ, उसका लिव-इन पार्टनर और estranged पति – तीनों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

मामला हत्या की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया है और फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है।

हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं – पारिवारिक विवाद, संतान को लेकर तनाव, या कोई अन्य गहरी बात।

किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”

क्या कहता है सामाजिक विश्लेषण?

बच्चियों के खिलाफ अपराध आज भी भारत में एक भयानक हकीकत हैं, लेकिन जब मासूम की हत्या उसके अपनों द्वारा की जाती है, तो यह केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि सामाजिक पतन का संकेत बन जाता है।

 NCRB के आँकड़े क्या कहते हैं?

  • साल 2022 में 1,275 बच्चों की हत्याएँ दर्ज हुईं।
  • घरेलू विवाद, सौतेले संबंध और मानसिक तनाव प्रमुख कारण रहे।
  • लिव-इन रिलेशनशिप में हुए बच्चों के प्रति अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है।

क़ानूनी पक्ष और चुनौतियाँ

IPC की धारा 302 के तहत हत्या का मामला बेहद गंभीर होता है। लेकिन पारिवारिक और आपसी संबंधों की जटिलता अक्सर मामलों को पेचीदा बना देती है।

  • फॉरेंसिक जांच, कॉल डिटेल्स, और आरोपियों की मनोवैज्ञानिक जांच बहुत महत्वपूर्ण होंगी।
  • बच्ची की माँ की भूमिका विशेष निगरानी में है क्योंकि वह इस पूरे विवाद की केंद्रीय कड़ी है।

पड़ोसी क्या कहते हैं?

स्थानीय लोगों के अनुसार, उस घर से अक्सर झगड़े की आवाजें आती थीं। किसी ने ये नहीं सोचा था कि मामला इतना खतरनाक मोड़ ले सकता है।

“वो बच्ची तो स्कूल भी नहीं जा रही थी पिछले दो हफ्तों से… बहुत शांत और डरी‑डरी रहती थी,” – पड़ोस में रहने वाली बुज़ुर्ग महिला।

एक बच्ची, जिसकी दुनिया उसके माँ‑बाप होते हैं, अगर उसी घर में उसकी सांसें छीन ली जाएँ – तो सोचिए, ये अपराध नहीं, हमारी संवेदना की हार है।
पुलिस जांच कर रही है, लेकिन समाज को भी अब चुप नहीं रहना चाहिए

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button