दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत उनके खिलाफ जांच के संबंध में किसी भी गोपनीय या असत्यापित जानकारी को मीडिया में लीक करने से रोकने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने फैसले में कहा कि ईडी ने स्पष्ट किया है कि उसने कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया। वहीं, जो भी समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित हुई हैं वे सूत्रों के आधार पर आधारित हैं। ऐसे में ईडी को रोकने के लिए आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
दरअसल मोइत्रा ने 19 मीडिया घरानों को उनके खिलाफ लंबित जांच के संबंध में किसी भी असत्यापित, अपुष्ट, झूठी, अपमानजनक सामग्री को प्रकाशित और प्रसारित करने से रोकने की भी मांग की थी। एथिक्स पैनल द्वारा ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद मोइत्रा को पिछले साल दिसंबर में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। ईडी ने 14 और 20 फरवरी को फेमा के तहत मोइत्रा को समन जारी किया था। मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा था कि लंबित जांच से संबंधित संवेदनशील जानकारी उन्हें बताए जाने से पहले मीडिया में लीक होना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित उनके अधिकारों के लिए हानिकारक है। दूसरी ओर ईडी ने आरोप से इनकार किया और कहा कि उसने जांच के संबंध में कोई प्रेस विज्ञप्ति नहीं दी है या मीडिया में कोई जानकारी लीक नहीं की है।
फ़िलहाल याचिका में मीडिया घरानों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि मोइत्रा के खिलाफ सभी समाचार रिपोर्टिंग और प्रकाशन फेमा जांच के संबंध में ईडी द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुरूप हों। इसके अलावा, मोइत्रा ने प्रार्थना की थी कि याचिका के लंबित रहने के दौरान, ईडी और मीडिया घरानों को चल रही फेमा जांच से संबंधित किसी भी जानकारी को लीक करने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने से रोका जाना चाहिए।