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Congress vs BJP : कभी ये नेता थे कांग्रेस की धाकड़ आवाज, अब बोल रहे भाजपा की बोली

Congress vs BJP : लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा हैं। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ गौरव वल्लभ और बॉक्सर विजेंदर सिंह उस सूची में नए नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके पहले ऐसे नेताओं की एक लंबी सूची है, जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ा और भाजपा, तृणमूल कांग्रेस, सपा-बसपा जैसे किसी अन्य दल में चले गए। सबसे पुरानी पार्टी के पक्ष में लड़ने वाले नेता अब सरकार के गुणगान गा रहे हैं और कांग्रेस व उसके नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। 

सूची में नया नाम गौरव वल्लभ भी ऐसी ही सूची में शामिल हो गए हैं, जो पिछले कुछ वर्षों तक भाजपा पर हमलावर रहे और अब इसका दामन थाम लिया। भाजपा नेताओं पर वल्लभ के तीखे तंज की रील अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती थीं। हालांकि, उन्होंने गुरुवार सुबह कांग्रेस के सभी पदों से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते। इसके कुछ घंटे बाद ही वह भाजपा में शामिल हो गए। बता दें, वल्लभ ने कांग्रेस की ओर से झारखंड और राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

वल्लभ ने मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने इस्तीफे को सोशल मीडिया पर भी साझा किया। उन्होंने कहा, ‘पार्टी जिस तरह से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसे देखते हुए मैं सहज महसूस नहीं कर पा रहा था। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह शाम वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।’ 

ये नेता भी कर चुके हैं पार्टी को अलविदा 

ऐसा नहीं है कि केवल वल्लभ ने कांग्रेस का साथ छोड़ा है, बल्कि कई बड़े नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। बल्कि इससे पहले जयवीर शेरगिल, शहजाद पूनावाला और रीता बहुगुणा जोशी भी भाजपा का हाथ थाम चुकी हैं। शेरगिल कांग्रेस के साथ एक दशक बिताने के बाद 2022 में भाजपा में शामिल हुए। सबसे पुरानी पार्टी के एक अन्य प्रमुख चेहरे पूनावाला ने 2017 में तब सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों को दिखावा कहा था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें इसका प्रवक्ता नियुक्त किया गया। 2021 में, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के लिए भाजपा के सोशल मीडिया विंग का प्रभारी भी बनाया गया था। 

प्रियंका चतुर्वेदी भी ऐसी प्रवक्ता रहीं कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जोशी 2016 में भाजपा में शामिल हो गई थीं, जब कांग्रेस ने शीला दीक्षित को 2017 के उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया था। इन सबके अलावा एक और बड़ा नाम प्रियंका चतुर्वेदी का भी है, जो साल 2019 में शिवसेना में चली गई थीं। शिवसेना में विभाजन के बाद, चतुर्वेदी शिवसेना यूबीटी में शामिल हो गईं।  

आखिर क्यों छोड़ा पार्टी का साथ? अब सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों ने पार्टी का साथ क्यों छोड़ा? जब भी कांग्रेस का किसी नेता ने साथ छोड़ा तो उसने वंशवाद को दोषी ठहराया। शेरगिल ने कहा कि उन्होंने एक साल तक गांधी परिवार से मिलने की कोशिश की और लोगों के सामने झुकने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि वे शीर्ष नेतृत्व के करीब थे। पूनावाला ने कहा कि उन्हें वंशवाद के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर किया गया। इससे पहले, उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस के लिए उनके दृष्टिकोण पर एक टीवी बहस के लिए चुनौती दी थी।

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