मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक हिंदू पत्नी को अपने मुस्लिम पति का अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी है आपको बता दे की महिला का पति एक मुस्लिम महिला के साथ अवैध संबंध में शामिल होने के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया था बाद में दोनों का निगाह भी हो गया था न्यायमूर्ति जी और स्वामीनाथन की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए हिंदू महिला को अंतिम संस्कार की इजाजत दी आपको बता दे की एक सरकारी अस्पताल के सब ग्रह में उसका शव पड़ा हुआ था
दरअसल मृत्यु की हिंदू पत्नी और मुस्लिम बेटे ने शव को अपने-अपने कब्जे में लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था हिंदू पत्नी ने वेद जीवनसाथी के रूप में अपने अधिकारों का दावा करते हुए अंतिम संस्कार करने के अधिकार के लिए तर्क दिया मुस्लिम बेटे ने तर्क दिया कि उसके पिता ने निधन से पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था जिसके कारण उसका और उसकी मां का अंतिम संस्कार करने का उचित दवा है वहीं अदालत ने कहा कि हालांकि इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं है कि मृतक ने अपने निधन से पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था
लेकिन मुस्लिम महिला से उसकी शादी को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है वही हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह माना गया की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ढंग से रद्द कर दिया था ऐसे में केवल शांति को ही बाल सुब्रमण्यम उर्फ अनवर हुसैन की कानूनी रूप से विवाहित पट्टी माना जा सकता है हाई कोर्ट ने पुलिस को कहा कि सैयद अली फातिमा और अब्दुल मलिक निश्चित रूप से जमानत के सत्ता संभालने के बाद अंतिम संस्कार में भाग लेने के हकदार हैं।