स्पाइनल कॉर्ड : शरीर का कमांड सेंटर, जिस पर निर्भर है सब कुछ

स्पाइनल कॉर्ड (मेरुरज्जु) मानव शरीर की सबसे जटिल और अद्भुत संरचनाओं में से एक है। यह केवल एक हड्डियों के ढांचे का हिस्सा नहीं, बल्कि मस्तिष्क और शरीर के बीच संवाद का मुख्य सेतु है। सरल भाषा में कहें तो यह हमारे शरीर की ‘डेटा केबल’ है, जो हर संदेश और प्रतिक्रिया को तेजी से आगे-पीछे भेजती है, चाहे हाथ हिलाना हो, चलना हो या दर्द महसूस करना हो।
स्पाइनल कॉर्ड, ब्रेन स्टेम से शुरू होकर रीढ़ की हड्डियों (वर्टेब्रल कॉलम) के अंदर एक सुरक्षात्मक नलिका में फैली होती है। यह पुरुषों में लगभग 45 सेमी और महिलाओं में 43 सेमी लंबी होती है। रीढ़ की हड्डी में कुल 33 कशेरुकाएं होती हैं, जो गर्दन, पीठ, कमर, सैक्राल और कोक्साइजियल भागों में बंटी होती हैं। इसे चारों ओर से सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड घेरे रहता है, जो इसे झटकों और चोटों से सुरक्षित रखता है।
स्पाइनल कॉर्ड शरीर का नर्व ट्रांसमिशन हब है। इसमें दो प्रकार की नसें होती हैं। पहली अफ्रेंट नर्व्स, जो शरीर के किसी हिस्से से जानकारी मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं और दूसरी एफरेंट नर्व्स, जो मस्तिष्क से आदेश लाकर शरीर के अंगों तक पहुंचाती हैं। जब आप अचानक कोई गर्म चीज छूते हैं और हाथ तुरंत हटा लेते हैं, तो यह एक रिफ्लेक्स एक्शन होता है, जो स्पाइनल कॉर्ड की तीव्र निर्णय क्षमता को दर्शाता है।
स्पाइनल कॉर्ड शरीर की हर गतिविधि जैसे गति, संतुलन और संवेदनाओं को नियंत्रित करता है। यह मस्तिष्क और शरीर के बीच एक पुल की तरह कार्य करता है। इसकी क्षति से शरीर पूरी तरह असहाय हो सकता है। व्यक्ति चल-फिर नहीं सकता और कभी-कभी सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ी प्रमुख बीमारियों में मेरुरज्जु की चोट, सूजन, स्लिप्ड डिस्क और मल्टिपल स्क्लेरोसिस शामिल हैं। इनसे बचाव के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे अश्वगंधा और शतावरी लाभकारी हैं।
भुजंगासन, मकरासन जैसे योगासन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं। नारायण या महास्नेह तेल से पीठ की मालिश, संतुलित आहार और सही मुद्रा रखने से स्पाइनल हेल्थ को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
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