आम के निर्यात में कमी के चलते पैक हाउस का घाटा, सब्जियों के एक्सपोर्ट की योजना

लखनऊ : तमाम कवायद के साथ नए सिरे से रहमान खेड़ा में संचालित हुआ मंडी परिषद का पैक हाउस आम का निर्यात करने में घाटे में रहा। बागवानों को उचित दाम न मिलने से दो माह में 30 टन ही आम का निर्यात हो पाया। इसमें 10 लाख से अधिक खर्च आया जबकि बिक्री 9 लाख के लगभग ही रही। घाटे की भरपाई के लिए सब्जियों के निर्यात की योजना बनी, लेकिन वह भी फेल हो गई।
पैक हाउस आम के सीजन में दो माह संचालित होता है, शेष समय बंद रहता है। बंद पैक हाउस में हर माह किराया, बिजली बिल, मशीनों का रखरखाव व वेतन आदि में तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। 10 माह पैक हाउस चलाने के लिए खाड़ी देशों में सब्जियों का निर्यात करने की योजना बनाई गई, क्योंकि खाड़ी देशों के मानक आसान हैं। निर्यात की शुरुआत भिंडी और लौकी इस माह करनी थी, आर्डर भी लिए गए, लेकिन निर्यातकों द्वारा किसानों से सब्जियां खरीदकर उपलब्ध नहीं कराई गई।
कारण बताया कि पैक हाउस से प्रोसेसिंग और निर्यात करने में खर्च अधिक आता है। इसलिए सीधे किसानों से सब्जियां खरीदकर भेजने लगे। इन हालात में पैक हाउस का संचालन करने वाली कंपनी घाटे चली गई। इस संबंध में जल्द मंडी परिषद द्वारा बैठक की जाएगी। कंपनी के संचालक अमित अग्रवाल ने बताया कि हर माह किराया, वेतन और अन्य खर्च निकलना मुश्किल है। निर्यातकों को परिवहन आदि में सुविधा मिले तो 12 माह पैक हाउस संचालित हो सकता है।