UP Election: यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कांग्रेस करेगी जातीय सम्मेलन, ये है पूरा प्लान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारियों को अमली जामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई ने विभिन्न जातियों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अलग अलग लगभग 15 सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है। पार्टी महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने बताया कि, “अक्टूबर के मध्य से पार्टी इकाई 13-15 सम्मेलन आयोजित करेगी, जिनमें से प्रत्येक मौर्य, कुशवाहा, पासी, निषाद, लोधी और पटेल जैसे विशिष्ट जाति समूहों को जोड़ने का काम करेगा।”
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने यूनिवर्ता को बताया, “निश्चित रूप से, सबसे बड़े चुनावी राज्य में कांग्रेस को पुर्नजीवित करना उतना आसान नहीं है। मंडल आयोग के बाद के दौर में, कांग्रेस का पारंपरिक वोट आधार समाजवादी पार्टी, मायावती की बसपा और भाजपा की तरफ़ शिफ्ट हो गया है।”
उन्होंने कहा “दिसंबर 1989 के बाद से पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा है। हालाकि बिहार के में पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन की पार्टी बनी रही है लेकिन उसका खास फायदा नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पिछले 36 वर्षों से पूरी तरह से सत्ता से बाहर है। कांग्रेस नेता भी मानते हैं कि सत्ता से लंबे समय तक दूर रहने का असर उसके संगठन और संसाधनों पर पड़ा है।”
पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी साप्ताहिक बाजारों या स्थानीय मेलों में जाकर और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों से मिलकर संगठन को मज़बूत कर रही है। अविनाश पांडे ने कहा कि वर्तमान में चल रहे संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत राज्य स्तर से लेकर मतदान केंद्र स्तर तक, राज्य में पाँच-स्तरीय पार्टी संगठन स्थापित करने का लक्ष्य है। हमारा लक्ष्य 1.62 लाख बूथों और 19.78 लाख पदाधिकारियों तक संगठन पहुंचाना है। कांग्रेस के पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस के रिवाइवल की पहली परीक्षा शिक्षकों और स्नातकों के लिए निर्धारित 11 विधान परिषद सीटों के लिए चुनाव होंगे। इससे भी बड़ी परीक्षा 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव होंगे, जिन्हें 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
वहीं उत्तर प्रदेश के भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी ने कहा, “कांग्रेस के पास ज़मीनी स्तर पर कोई बुनियादी ढांचा नहीं है। उत्तर प्रदेश में उनके लिए सबसे बड़ी समस्या राहुल गांधी हैं। इसलिए, इन दो कारणों को देखते हुए, मुझे संदेह है कि उत्तर प्रदेश में उनका रिवाइवल हो सकता है।”