Chhath Mahaparva 2025 : ‘छठ मैया की जय’ के उद्घोष के साथ आज से शुरू होगा सूर्य उपासना का महापर्व, गोमती नदी के तट लगेगा आस्थावानों का मेला

लखनऊ। छठ महापर्व के लिए गोमती नदी के घाट सजकर ठाठ बाट के साथ तैयार हैं। नदी की सफाई करने के साथ दीवारों से लेकर सीढ़ियों तक में पेंटिंग की गई है। बिजली की झालरों से घाट जगमगा भी रहे हैं। देर शाम तक महिलाएं और युवा वेदियां बनाने में लगे रहे। अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि गोमती तटों की सफाई, जल की शुद्धता मापी जा रही है। 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। देर रात तक सभी तैयारी हो जाएंगी। नहाय-खाय से शनिवार को महापर्व की शुरुआत होगी।
छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सूर्य देव के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा का उत्सव है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के अनुसार छठ महापर्व पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में ऊर्जा, समृद्धि और संतान की रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पहले दिन नहाय-खाय पर शनिवार को श्रद्धालु स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे। दूसरे दिन खरना पर निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को गुड़ की खीर व रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 27 अक्टूबर को तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्यास्त का समय 5:27 बजे रहेगा। 28 अक्टूबर को चौथे दिन सुबह 6:13 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण हो जाएगा। ये व्रत अत्यंत कठोर माना जाता है और परिवार की सुख-समृद्धि तथा संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। भगवान सूर्य को ठेकुआ, मालपुआ, फल, चावल के लड्डू और नारियल अर्पित किया जाता है।
श्रद्धालुओं की आस्था और अनुभव
मूल रूप से बिहार की निवासी रूपा गोस्वामी चिनहट में रहती हैं। उन्होंने बताया कि 15 वर्षों से छठ मैया की पूजा कर रही हैं। बताया कि मेरी सास की मन्नत थी, जब वह पूरी हुई तब से हर वर्ष हम यह व्रत करते आ रहे हैं। पुष्पा दुबे मूल निवासी पटना ने बताया कि 8 वर्षों से लक्ष्मण तट पर छठ पूजा कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यह पर्व बेटी और बेटे दोनों की मंगलकामना के लिए होता है। यहां की व्यवस्था काफी बेहतर है। आजमगढ़ की अंजू करवार ने अपनी पारिवारिक भावनात्मक कहानी साझा की। उन्होंने मौके पर छठ मैया के भजन भी गाकर सुनाए।





