चुनावी बांड को लेकर एक अलग गरमा गर्मी मची हुई है सियासी गलियारों में। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दे कर कहा है की, चुनावी बांड से जुडी सारी जानकारी और विवरण का खुलासा कोई चयनात्मक नहीं होना चाहिए। कोर्ट के आदेश अनुसार चुनावी बांड से जुडी हर जानकारी सार्वजनिक होना अनिवार्य है। इस जानकारी में चुनावी बांड का नंबर तक सम्मलित होना जरुरी है। एसबीआई ने इससे जुडी सारी जानकारी साझा की है और कोर्ट ने सीबीआई को ादेशो का पालन करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में तीन किस्तों में चुनावी बांड को जारी किया था जिसकी कुल कीमत 16518 करोड़ थी। एसबीआई बैंक को इस चुनावी बांड का मुख्या बैंक बनाया गया था। 20219 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार चुनावी बांड की सारी जानकारी निर्वाचन आयोग को सौपने को कहा गया था। जिसके बाद एसबीआई बैंक ने साडी जानकारी निर्वाचन आयोग को सौप दी।
चुनावी या एल्क्ट्रोरल बांड होता क्या है ?
एलेक्ट्रोरल बांड एक तरीका का डिजिटल बांड होता है। जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी अनुसार किसी भी पोलिटिकल पार्टी को डोनेशन दे सकता है। इस बांड में द्वारा किया गया डोनेशन, जिस भी व्यक्ति ने किया है उसका नाम पूरी तरीके से गोपनीय रखा जाता है।