न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत करीब दर्जन भर मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के लिए सरकार बातचीत को लेकर सारा विकल्प खोलकर रखना चाहती है. सरकार आपसी चर्चा के माध्यम से समाधान का रास्ता खोलना चाहती है. इसलिए चौथे दौर की बातचीत के बाद अब पांचवें दौर की बैठक में चार अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है. किसान फिलहाल शंभू बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. किसान आज दिल्ली कूच करने वाले थे, लेकिन सरकार की ओर से पांचवें दौर की बैठक की सूचना मिलने के बाद फिलहाल शंभू बॉर्डर पर ही रुके हुए हैं.
किसानों के आंदोलन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि 5वें दौर की बैठक में हम किसानों से बात करने और एमएसपी, पराली जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि मैं किसानों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं और हमें इसका हल निकालना चाहिए. बातचीत से समाधान निकलना चाहिए.
ये हैं वो चार मुद्दे जिन पर फिर से चर्चा के लिए तैयार हुई सरकार
- 1.MSP की मांग
- 2. फसल कि विविधता
- 3.पराली का विषय
- 4. किसानों के खिलाफ दर्ज FIR पर बातचीत
इससे पहले चौथे दौर की केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक में सरकार की तरफ से कपास और मक्का पर MSP के आधार पर 5 साल का अनुबंध देने की बात कही थी. केंद्र सरकार ने उड़द, मसूर, मक्का, कपास और अरहर पर एमएसपी पर पांच साल की गारंटी की बात कही है. इसका मतलब ये है कि सरकार अब गेहूं और धान की तरह खरीद केंद्र बनाकर एमएसपी पर इन फसलों की भी खरीद करेगी.
फसल और जमीन की उर्वरता पर ध्यान देने कोशिश
केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को कहा गया है कि किसानों को सुनिश्चित करना होगा कि वह फसल और जमीन की उर्वरता पर भी ध्यान दें. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी उर्वर्कता के मुद्दे पर सहमति जाहिर की थी. एक तरह से केंद्र सरकार हर हाल में किसानों के उदार रवैया दिखाना चाहती है.
केंद्र सरकार ये भी जानती है कि आंदोलन से जुड़े बहुत सारे लोग सिर्फ किसानों की आड़ में राजनीति कर रहे हैं. ऐसे में वो सरकार के हर ऑफर को ठुकराने में दिलचस्पी दिखाते हैं. सरकार ने ऐसा मन बनाया हुआ है कि इस बार किसी भी तरह से हरियाणा क्रॉस कर किसान दिल्ली नहीं आ पाए.
सरकार नहीं चाहती दिल्ली में घूसे किसान
पिछली बार जब किसान आंदोलन के लिए उतरे थे तो सरकार ने दिल्ली में एंट्री की अनुमति दे दी थी, लेकिन किसानों ने राजधानी में जमकर हंगामा काटा था. लिहाजा इस बार सरकार किसी भी तरह से किसानों को दिल्ली आने नहीं देगी. लेकिन सरकार किसी तरह से ये परसेप्शन नहीं बनने देना चाहती है कि वो किसानों को लेकर गंभीर नहीं है.