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RSS का संगठनात्मक फेरबदल: यूपी की राजनीति में बड़ी हलचल

 क्या हुआ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने उत्तर प्रदेश के छह प्रमुख प्रांतों — पश्चिम यूपी, ब्रज, अवध, गोरख, काशी और बुंदेलखंड — में 60 से अधिक जिला प्रचारकों का एक साथ स्थानांतरण और नियुक्ति किया है।

यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब:

  • भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 62 में से सिर्फ 33 सीटें जीतीं, यानी लगभग 50% सीटों का नुकसान हुआ।
  • 2025 में पंचायत चुनाव और फिर 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं।

RSS का उद्देश्य?

RSS का यह फेरबदल निम्नलिखित प्रमुख रणनीतिक कारणों से जोड़ा जा रहा है:

  1. भाजपा का आधार कमजोर न हो — खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में।
  2. डिजिटल कौशल वाले युवा प्रचारक जोड़े जा रहे हैं, ताकि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वैचारिक मजबूती लाई जा सके।
  3. पंचायत स्तर पर संघ की पकड़ बढ़ाना – ताकि सरकार की योजनाओं का लाभ “लास्ट माइल” तक पहुँचे।

2024 चुनाव परिणामों का प्रभाव

वर्षलोकसभा में BJP की सीटें (UP)विपक्ष की सीटें
201471/809
201962/8018
202433/8047

RSS इस गिरती हुई ग्राफ़ को सीधा करने के लिए नीचे से ऊपर की रणनीति अपना रही है।

क्या है नया फेरबदल ?

युवा प्रचारक जिनकी उम्र 25–35 वर्ष के बीच है।

IT सेल के अनुभव वाले स्वयंसेवक, जो जमीनी स्तर के साथ-साथ ऑनलाइन प्रचार में भी सक्षम हों।

पिछड़े और अति‑पिछड़े वर्गों से आने वाले स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाई गई है।

संगठन में “नरम हिंदुत्व” को फिर से संतुलित तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश।

BJP को कैसे फायदा पहुँचा सकता है?

  • पंचायत चुनाव में RSS के स्वयंसेवक गाँव-गाँव जाकर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाएंगे।
  • ग्रामीण नाराज़गी को समय रहते पहचान कर BJP को फीडबैक देंगे।
  • विपक्ष की “जातीय गणित” को संघ की सामाजिक समरसता नीति से काटने की कोशिश की जाएगी।

राजनीतिक संदेश क्या है?

यह केवल संघ का “आंतरिक मामला” नहीं है — बल्कि यह यूपी की राजनीति में:

  • 2025 पंचायत चुनाव की तैयारी,
  • 2027 विधानसभा चुनाव की बुनियाद,
  • और 2029 लोकसभा की रणनीति की शुरुआत है।

RSS का यह कदम “संघ साइलेंट है लेकिन निष्क्रिय नहीं” जैसा संकेत देता है।

RSS का यह संगठनात्मक फेरबदल यूपी की राजनीति में एक अदृश्य लेकिन निर्णायक हस्तक्षेप है। भाजपा को जमीनी मजबूती देने के लिए RSS ने एक बार फिर अपने संगठन को 2.0 वर्जन में अपडेट कर दिया है—जहां “परंपरा” और “तकनीक” दोनों का संतुलन देखने को मिल रहा है।

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