Swiggy News In Hindi : स्विगी को एक आइसक्रीम समय पर न पहुंचने की वजह से काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। दरअसल मामला बेंगलुरु की एक उपभोक्ता है। जहां पर उसने स्विगी से एक आइसक्रीम आर्डर किया, और आइसक्रीम ऑर्डर नहीं होने पर भी स्विगी की ऐप पर डिलीवर शो करने लग गया। जिस वजह से कंज्यूमर कोर्ट ने इस लापरवाही पर स्विगी को ₹5000 उपभोक्ता को देने का निर्देश दिया।
क्या है पूरा मामला
रिपोर्ट के मुताबिक स्विगी एप पर उपभोक्ता ने आइसक्रीम का आर्डर किया। लेकिन डिलीवरी पार्टनर ने उस आइसक्रीम को उपभोक्ता के पास ना पहुंच कर एप पर डिलीवर शो कर दिया। इसके बाद से उपभोक्ता ने इस बात की कंप्लेंट कस्टमर केयर पर की, लेकिन वहां से उसे कोई मुआवजा नहीं मिला। जिसके बाद से उपभोक्ता ने इस बात की शिकायत कंज्यूमर कोर्ट में कर दी। कंज्यूमर कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपभोक्ता के द्वारा जमा किए गए सबूत को सच मानते हुए, कोर्ट ने स्विगी पर ₹5000 उपभोक्ता को देने का आदेश जारी किया।
इस मामले में स्विगी का दावा है, कि वह रेस्टोरेंट और ग्राहक के बीच एक मध्यस्थ है। डिलीवरी पार्टनर की गलती का जिम्मेदार स्विगी को नहीं ठहराया जा सकता। कंपनी ने कहा कि वह इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के प्रावधानों के तहत लायबिलिटी से सुरक्षित हैं। कंपनी ने कहा कि जब ऐप पर डिलीवर मार्क किया गया, तो यह जाने में असमर्थ है की आइसक्रीम को डिलीवर किया गया या नहीं। कोर्ट ने इन दावों को ध्यानपूर्वक सुनकर इनको खारिज कर दिया, तथा उपभोक्ता के द्वारा दी गई शिकायत को शिकायतकर्ता ने साबित कर दिया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि स्विगी ने सर्विस को लेकर कोताही की है। ऑर्डर किया गया प्रोडक्ट डिलीवर ना होने पर स्विगी ने शिकायतकर्ता की ओर से भुगतान की गई राशि वापस नहीं की।
17500 रुपये मांगी थी मुआवजे की रकम
रिपोर्ट्स के मुताबिक शिकायतकर्ता ने मुआवजे के तौर पर 17500 का मुआवजा मांगा था। जिसमें ₹10000 मुआवजे के तौर पर तथा 7500 मुकदमेबाजी में खर्च हुए रुपए का है। इस मुआवजे की रकम को सुनकर कोर्ट ने इसे ज्यादा करार दिया, तथा उपभोक्ता को स्विगी ₹5000 की रकम का भुगतान करने का निर्देश दिया। जिसमें ₹3000 को मुआवजे के रूप में और ₹2000 उसे कानूनी खर्च के रूप में लेनदेन का आदेश दिया।