
दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में हुए बदलाव का बड़ा फायदा चमड़े की वस्तुओं के उपभोक्ताओं को मिलने जा रहा है। जीएसटी परिषद की कल यहां हुई बैठक में चमड़े के सामान पर लगने वाले कर की दर 12 प्रतिशत से कम करके पांच प्रतिशत करने का ऐलान किया गया है।
चमड़े का सामान होगा सस्ता
टैनिंग या क्रस्टिंग के बाद तैयार किया गया चमड़ा, पेटेंट चमड़ा वाला और पेटेंट लैमिनेटेड चमड़ा शामिल है। इसके अलावा चमड़े या चमड़े के रेशे के आधार वाला संयोजन चमड़ा, मिश्रित चमड़े के छिलके और अन्य अपशिष्ट पर भी कर की दर को 12 फीसदी से पांच फीसदी कर दिया गया है। इसी श्रेणी में पक्षियों की खालें और उनके पंख से बनी वस्तुएं भी शामिल की गई हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में चमड़ा उत्पाद और फुटवियर उद्योग का खासा महत्व है।
यह क्षेत्र उच्च निर्यात आय में अपनी निरंतरता के लिए जाना जाता है और यह देश के लिए शीर्ष दस विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले क्षेत्रों में से एक है। इसकी वजह यह है कि यह उद्योग कच्चे माल की प्रचुरता से संपन्न है क्योंकि भारत में विश्व की 20% मवेशी और भैंस और विश्व की 11% बकरी और भेड़ आबादी पाई जाती है। चर्म निर्यात परिषद के अनुसार 2020-21 के दौरान भारत से फुटवियर, चमड़ा और चमड़ा उत्पादों का निर्यात 3.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
50 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता चमड़ा उद्योग
चमड़ा उद्योग एक रोजगार प्रधान क्षेत्र है, जो लगभग 50 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जिनमें से अधिकांश समाज के कमजोर वर्गों से हैं। इस क्षेत्र की खास बात यह है कि चमड़ा उत्पाद क्षेत्र में महिलाओं की लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारत चमड़े के वस्त्रों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक और चमड़े के सामान का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत में जूता, चमड़ा और चमड़ा उत्पादों के प्रमुख उत्पादन केंद्र तमिलनाडु में चेन्नई, अम्बुर, रानीपेट, पश्चिम बंगाल में कोलकाता; उत्तर प्रदेश में कानपुर, आगरा, नोएडा, सहारनपुर हैं। इनके अलावा हरियाणा के अंबाला, गुड़गांव, पंचकुला, करनाल के साथ साथ मुंबई, जालंधर, बेंगलुरु, और हैदराबाद भी प्रमुख केन्द्र है।
ऑटोमोबाइल रिटेल उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण
वाहन डीलरों के महासंघ (फाडा) ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के फैसलों से मांग को बढ़ावा मिलेगा और देश का परिवहन तंत्र मजबूत होगा। जीएसटी परिषद ने बुधवार को जीएसटी के स्लैबों को चार से घटाकर दो करने और दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान कर दी।
फाडा के अध्यक्ष एम.सी. विघ्नेश्वर
फाडा के अध्यक्ष एम.सी. विघ्नेश्वर ने एक बयान में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक को उन्होंने कहा, “फाडा उन साहसिक और प्रगतिशील सुधारों का हार्दिक स्वागत करता है जो कर संरचना को सरल बनाते हैं, सार्वजनिक परिवहन के लिए दरों को कम करते हैं और सभी राज्यों में आम सहमति स्थापित करते हैं। यह एक निर्णायक कदम है जो सामर्थ्य को बढ़ायेगा, मांग को बढ़ावा देगा और देश के परिवहन तंत्र को और अधिक मजबूत तथा समावेशी बनायेगा।”
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चत करना महत्वपूर्ण है कि ग्राहकों तक लाभ निर्बाध रूप से पहुंच सके। इसके लिए बिना किसी रुकावट के कार्यान्वयन महत्वपूर्ण होगा क्योंकि त्योहारों का मौसम नजदीक आ रहा है। फाडा ने डीलरों के खातों में वर्तमान में पड़े उपकर बैंलेंस पर स्पष्टीकरण की मांग की है ताकि परिवर्तन के दौरान कोई अस्पष्टता न रहे।
विघ्नेश्वर ने कहा कि फाडा सरकार और जीएसटी परिषद के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि जीएसटी 2.0 को एक आदर्श सुधार बनाया जा सके जो उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों के लिए सरल, पारदर्शी और विकासोन्मुखी।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार रात करों में बदलावों की घोषणा की थी। इसके तहत छोटे यात्री वाहनों और 350 CC तक के दुपहिया वाहनों को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है। तिपहिया वाहन, बस और एम्बुलेंस को भी 18 प्रतिशत के स्लैब में जगह मिली है। वहीं, अन्य वाहनों पर 40 प्रतिशत कर लगाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त लाल किले से देश को संबोधित करते हुए कहा था कि इस दिवाली से पहले आम लोगों को जीएसटी के अगली पीढ़ी के सुधारों के रूप में विशेष उपहार मिलने जा रहा है।
सीमेंट पर GST कटौती से मिलेगा क्षेत्र को बढ़ावा
सीमेंट उद्योग से जुड़े लोगों ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीमेंट पर जीएसटी दर में कटौती से न केवल घरेलू विनिर्माताओं को मदद मिलेगी, बल्कि इससे बुनियादी ढांचे के विकास की गति भी तेज होगी और देश में औद्योगिक विस्तार को बढ़ावा मिलेगा। सीमेंट विनिर्माता संघ (सीएमए) ने कहा कि जीएसटी में कटौती से वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के साथ समान अवसर उत्पन्न होने से भारतीय सीमेंट उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की उम्मीद है।
सीएमए के अध्यक्ष नीरज अखौरी ने कहा, ‘‘लंबे समय से आवश्यक निर्माण सामग्रियों में से एक सीमेंट पर इस्पात और कई अन्य निर्माण सामग्री की तुलना में सबसे अधिक दरों पर कर लगाया जाता रहा है। दर को घटाकर 18 प्रतिशत करने से यह लंबे समय से जारी विसंगति दूर हो जाएगी और अन्य प्रमुख सामग्रियों के साथ समानता सुनिश्चित होगी।’’
बुनियादी ढांचे के विकास में आएगी तेजी
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने बुधवार को सीमेंट पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने को मंजूरी दे दी। इस कदम का स्वागत करते हुए श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक अखौरी ने कहा कि सीमेंट बुनियादी ढांचे और आवास के लिए एक आधारभूत कच्चा माल है। इस कदम से खपत में वृद्धि होगी तथा किफायती आवास सहित बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
अदाणी सीमेंट
अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का स्वामित्व रखने वाली अदाणी सीमेंट ने कहा कि सीमेंट पर कर में कमी से ‘‘ देश की बुनियादी संरचना में तेजी आएगी, औद्योगिक विस्तार को बढ़ावा मिलेगा और देश को बहु-खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मजबूती मिलेगी।’’
अदाणी सीमेंट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनोद बहेटी ने कहा, ‘‘ यह सुधार करों को तर्कसंगत बनाने से कहीं अधिक है। यह आत्मविश्वास, गति एवं उद्देश्य का संकेत है जो यह सुनिश्चित करता है कि देश की वृद्धि का अगला युग अधिक मजबूत, ‘स्मार्ट’ एवं टिकाऊ नीवं पर खड़ा हो।’’
पेशेवर सेवा कंपनी ग्रांट थॉर्नटन भारत के साझेदार एवं कर विवाद प्रबंधन प्रमुख मनोज मिश्रा ने कहा कि यह रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत है। उन्होंने कहा, ‘‘ किफायती आवास क्षेत्र में कुल परियोजना लागत में निर्माण सामग्री की हिस्सेदारी करीब 30-35 प्रतिशत है जिसमें सीमेंट सबसे अधिक लागत-गहन घटकों में से एक है।
डेवलपर के लिए यह कटौती सीमित मुनाफे वाले श्रम-गहन क्षेत्र में कार्यशील पूंजी के दबाव को कम करती है, जिससे परियोजना की बेहतर व्यवहार्यता और समय पर निष्पादन को बढ़ावा मिलता है।’’ सीएमए के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय सीमेंट उद्योग की कुल स्थापित क्षमता लगभग 700 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है।
आदित्य बिड़ला समूह
उद्योग में एकीकरण का दौर चल रहा है, जिसमें आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी अल्ट्राटेक और अदाणी समूह की कंपनी अदाणी सीमेंट छोटी कंपनियों का अधिग्रहण कर रही हैं। अल्ट्राटेक की स्थापित क्षमता 200 एमटीपीए से अधिक और अदाणी सीमेंट की 100 एमटीपीए से अधिक है। उद्योग को चालू वित्त वर्ष 2025-26 में सात से आठ प्रतिशत के बीच वृद्धि की उम्मीद है। इसे सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे और ग्रामीण आवास पर खर्च से मदद मिलेगी।
मोटर वाहन उद्योग के लिए GST के मायने
मोटर वाहन उद्योग ने बृहस्पतिवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की विभिन्न श्रेणियों में मोटर वाहन पर कर दरों में कटौती का फैसला सही समय पर लिया गया है और इससे क्षेत्र को नई गति मिलेगी। उद्योग निकायों ने कहा कि कर ढांचे का सरलीकरण एवं सार्वजनिक परिवहन के लिए कम दरें एक अच्छा कदम है, जिससे सामर्थ्य बढ़ेगा एवं मांग में तेजी आएगी। साथ ही उन्होंने सरकार के जल्द ही बिना बिके वाहनों पर क्षतिपूर्ति उपकर के उपयोग के लिए उपयुक्त तंत्र को अधिसूचित करने की उम्मीद जाहिर की जिससे एक सुचारू एवं प्रभावी बदलाव सुनिश्चित होगा।
सोसायटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के अध्यक्ष शैलेश चंद्र ने कहा कि मोटर वाहन उद्योग वाहनों पर जीएसटी को घटाकर 18 प्रतिशत और 40 प्रतिशत करने के सरकार के फैसले का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ यह समय पर उठाया गया कदम उपभोक्ताओं के लिए नई खुशी लेकर आएगा। साथ ही भारतीय मोटर वाहन क्षेत्र में नई गति लाएगा।’’
चंद्रा ने यह भी कहा कि मोटर वाहन उद्योग को ‘‘ विश्वास है कि सरकार शीघ्र ही बिना बिके वाहनों पर क्षतिपूर्ति उपकर के उपयोग के लिए उपयुक्त तंत्र को अधिसूचित करेगी, जिससे सुचारू एवं प्रभावी परिवर्तन सुनिश्चित होगा।’’ फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष सी. एस. विग्नेश्वर ने कहा, ‘‘ साहसिक एवं प्रगतिशील सुधार ’’ कर संरचना को सरल बनाते हैं, जन परिवहन के लिए दरें कम करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक निर्णायक कदम है, जो सामर्थ्य व मांग को बढ़ाएगा और भारत के परिवहन परिवेश को अधिक मजबूत एवं समावेशी बनाएगा।’’ ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) ने भी सभी मोटर वाहन घटकों पर एक समान 18 प्रतिशत कर लगाने के फैसले का स्वागत किया। एसीएमए की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा, ‘‘मोटर वाहन घटकों के उद्योग की ओर से, मैं इस ऐतिहासिक सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त करती हूं।
एसीएमए सभी मोटर वाहन घटकों पर जीएसटी की दर को एक समान 18 प्रतिशत करने की काफी समय से मांग कर रहा था। ’’ टीवीएस मोटर कंपनी के चेयरमैन सुदर्शन वेणु ने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती सरकार द्वारा विकास को गति देने के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘ इससे समाज के सभी वर्गों में खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।’’
जीएसटी परिषद ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय दर संरचना को बुधवार को मंजूरी दी जो 22 सितंबर से लागू होगी। इसके तहत 1,200 सीसी से कम और 4,000 मिलीमीटर से अधिक लंबाई वाले पेट्रोल, एलपीजी और सीएनजी वाहन और 1,500 सीसी और 4,000 मिलीमीटर तक की लंबाई वाले डीजल वाहन 18 प्रतिशत की दर पर आ जाएंगे।
इससे पहले, इन दोनों श्रेणियों पर क्रमशः एक प्रतिशत क्षतिपूर्ति उपकर के साथ 28 प्रतिशत जीएसटी और तीन प्रतिशत क्षतिपूर्ति उपकर के साथ 28 प्रतिशत जीएसटी लगता था। वहीं 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि पहले यह 28 प्रतिशत था। इसके अलावा 1,200 सीसी से अधिक और 4,000 मिलीमीटर से अधिक लंबी सभी गाड़ियों, साथ ही 350 सीसी से अधिक की मोटरसाइकिल एवं रेसिंग कारों पर 40 प्रतिशत शुल्क लगेगा। छोटी हाइब्रिड कारों को भी लाभ होगा जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर पांच प्रतिशत शुल्क जारी रहेगा।
GST छूट लागू होने पर बीमा कंपनियों को संचित ITC पड़ेगा लौटाना
जीएसटी छूट लागू होने के बाद जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को 21 सितंबर, 2025 तक संचित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को वापस लौटाना होगा। इससे कंपनियों पर लागत का बोझ बढ़ेगा। कर विशेषज्ञों ने यह बात कही है। व्यक्तिगत जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों को हालांकि लाभ होगा क्योंकि 22 सितंबर से प्रीमियम भुगतान पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) छूट लागू हो जाएगी। वर्तमान में ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि संचित आईटीसी का उपयोग केवल 21 सितंबर, 2025 तक की गई वस्तुओं/सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के लिए बाहरी देयताओं के भुगतान हेतु ही किया जा सकता है। इसने कहा, ‘‘ हालांकि, परिवर्तित दर लागू होने यानी 22 सितंबर, 2025 को या उसके बाद…सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत आईटीसी को वापस करना होगा।’’
केंद्र एवं राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद ने बुधवार को जीएसटी को पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय संरचना में बदलने को मंजूरी दे दी। इसमें तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों एवं अति-विलासिता वाली वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर शामिल है। नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी होंगी। वर्तमान में जीएसटी 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब में लगाया जाता है। कर की दरों में बदलाव के तहत जीवन बीमा पर जीएसटी से छूट दी गई है जिसमें टर्म, यूलिप, एंडोमेंट प्लान और पुनर्बीमा सेवाएं शामिल हैं। वर्तमान में ऐसी पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर 18 प्रतिशत कर लगता है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि बीमा कंपनियां बड़ी मात्रा में सामान्य ‘इनपुट’ सेवाओं जैसे आईटी मंचों, पेशेवर सेवाएं और शाखा संचालन से निपटती हैं जिससे ऋण का पृथक्करण जटिल हो जाता है। उन्होंने कहा कि बिना किसी ‘रिफंड’ व्यवस्था के अप्रयुक्त ऋण के पूरे पूल को वापस करने की अचानक आवश्यकता इस क्षेत्र के लिए वित्तीय झटका होगी।
मोहन ने कहा, ‘‘उपभोक्ता हित एवं उद्योग स्थिरता के बीच संतुलन बनाने के लिए सरकार छूट की तारीख से पहले वैध रूप से अर्जित ऋण के लिए चरणबद्ध वापसी या सीमित वापसी खिड़की पर विचार कर सकती है।’’ नांगिया एंडरसन एलएलपी के साझेदार (अप्रत्यक्ष कर) राहुल शेखर ने कहा, ‘‘…कंपनियों को अनुपालन बनाए रखने के लिए आईटीसी को वापस लेने तथा क्रेडिट को सीमित करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’
डेलॉयट इंडिया के साझेदार एवं अप्रत्यक्ष कर प्रमुख महेश जयसिंह ने कहा कि उच्च दरों पर संचित आईटीसी का उपयोग जारी रखा जा सकता है, लेकिन जिन आपूर्तियों पर छूट मिलती है उनसे संबंधित आईटीसी को 22 सितंबर से आनुपातिक रूप से वापस किया जाना चाहिए।
फल, जूस पर GST से त्योहारों के दौरान व्रतियों को लाभ
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बुधवार को किये गये बदलावों के बाद अब त्योहारों के दौरान व्रतधारियों की जेब पर कम बोझ पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि सूखे मेवे, फलों और जूस पर कर की दर घटा दी गयी है। आम तौर पर नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु व्रत रखते हैं और इस दौरान वे फलाहार करते हैं। मांग को देखते हुये बाजार में फलों के दाम भी बढ़ जाते हैं, लेकिन इस बार यह ट्रेंड बदल सकता है या कम से कम कीमतों में पहले की तुलना में कम वृद्धि देखने को मिल सकती है।
GST कम करने की घोषणा
जीएसटी काउंसिल ने सूखे मेवों, फलों, नारियल पानी और फलों से जूस पर कर कम करने की घोषणा की है। इन सभी वस्तुओं पर पहले 12 प्रतिशत कर लगता था जिसे अब घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। ब्राजील नट्स, अन्य सूखे मेवे जैसे बादाम, हेज़लनट या फिल्बर्ट (कोरिलस प्रजाति), चेस्टनट (कैस्टेनिया प्रजाति), पिस्ता, मैकाडामिया नट्स, कोला नट्स (कोला प्रजाति), पाइन नट्स पर कर कम करके पांच प्रतिशत किया गया है। पहले ये 12 फीसदी के स्लैब में थे। इसी प्रकार खजूर और छुहारा, अंजीर, अनानास, एवोकाडो, अमरूद, आम (सूखे आमों के स्लाइस को छोड़कर) और सूखे मैंगोस्टीन पर भी अब पांच प्रतिशत कर लगेगा।
खट्टे फलों पर 5 % स्लैब
खट्टे फल, जैसे संतरे, मैंडरिन (कीनू और सत्सुमा सहित), क्लेमेंटाइन, विल्किंग और इसी तरह के खट्टे संकर, अंगूर, जिसमें पोमेलो शामिल हैं और नींबू को भी पांच प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है। पैकेज्ड नारियल पानी पर भी कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत की गयी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार देर रात जीएसटी परिषद के फैसलों की जानकारी देते हुये बताया था कि जीएसटी में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की दरों को समाप्त कर दिया जायेगा और पांच प्रतिशत तथा 18 प्रतिशत के सिर्फ दो ही स्लैब बचेंगे। ये बदलाव 22 सितंबर को नवरात्र के पहले दिन से प्रभावी हो जायेंगे।
एल्युमीनियम उत्पादों की घरेलू मांग को बढ़ावा
एल्युमीनियम से बने खिड़की, दरवाजे के फ्रेम जैसे ‘एक्सट्रूजन’ उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के संगठन एएलईएमएआई ने बृहस्पतिवार को सरकार से क्षेत्र की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए वस्तुओं की मांग बढ़ावा देने के कदम उठाने का आग्रह किया। एल्युमीनियम एक्सट्रूजन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलईएमएआई) के अध्यक्ष जितेंद्र चोपड़ा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निरंतर आयात पर निर्भर रहने से इस उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को कड़ी व्यापार नीति और वैश्विक शुल्क की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए घरेलू बाजार में एल्युमीनियम की मांग बढ़ाना जरूरी है।
साथ ही सरकार को भी इस उद्योग के लिए मददगार और रियायती कदम उठाने चाहिए। भारत में एल्युमीनियम एक्सट्रूजन क्षेत्र की स्थापित क्षमता सालाना 30 लाख टन है, लेकिन अभी सिर्फ 12 लाख टन क्षमता का ही इस्तेमाल हो रहा है। वहीं, इसका आयात 15 लाख टन से ज्यादा है। इसका मुख्य कारण कीमतों में फर्क, मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से जुड़ी रियायतें और कुछ उत्पादों पर शुल्क मुक्त पहुंच की सुविधा है। एएलईएमएआई का मानना है कि जब तक घरेलू उद्योग की सुरक्षा के कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी।
चोपड़ा ने कहा, ‘अमेरिकी शुल्क ने हमारे उद्योग को प्रभावित किया है लेकिन बाहरी मदद का इंतजार करने की बजाय हमें अपने घरेलू बाजार को मजबूत करना होगा।’ चोपड़ा ने कहा, ‘अगर सरकार एल्युमीनियम के मूल्यवर्धित उत्पादों को एफटीए से बाहर रखे और एमएसएमई को समर्थन दे, तो भारत इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। साथ ही, कच्चा माल उपलब्ध कराने के लिए नाल्को जैसी कंपनियों से उत्पादन बढ़ाना भी जरूरी है।’
इस बीच, एएलईएमएआई ने एल्युमिनियम एक्सट्रूज़न उद्योग की संभावनाओं और चुनौतियों को रेखांकित करने के लिए 10 से 13 सितंबर तक दिल्ली के भारत मंडपम में एक प्रदर्शनी आयोजित करने का फैसला किया है। देश की इस पहली समर्पित एल्युमिनियम एक्सट्रूजन प्रदर्शनी में 200 से अधिक प्रदर्शक और 15,000 से ज्यादा व्यावसायिक आगंतुक हिस्सा लेंगे। इस दौरान उद्योग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर परिचर्चा सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।
GST बदलाव से FMCG सेक्टर में नई तेजी मिलने की उम्मीद
उपभोक्ता उत्पादों और रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुओं (एफएमसीजी) पर जीएसटी दरों में कटौती से त्योहारी मौसम से पहले घरेलू खपत को नई तेजी मिलने की उम्मीद है। उद्योग जगत का कहना है कि इस कदम से न सिर्फ तात्कालिक खपत बढ़ेगी बल्कि एफएमसीजी क्षेत्र की दीर्घकालिक वृद्धि को भी बल मिलेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने बुधवार को उपभोक्ता खाद्य उत्पादों पर कर संरचना को घटाकर पांच प्रतिशत करने का फैसला किया। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर से लागू होगी।
एफएमसीजी कंपनियों ने इसे ‘व्यापक बदलाव लाने वाला’ कदम बताया है। मेरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सौगत गुप्ता ने कहा कि दरों में कटौती से आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होंगी जिससे त्योहारी मौसम में खपत बढ़ेगी। डाबर के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने इसे समय पर उठाया गया परिवर्तनकारी कदम बताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण और कस्बाई बाजारों में मांग को बल मिलेगा। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) के मुख्य वित्त अधिकारी आसिफ मलबारि ने कहा कि सरकार के इस कदम से खपत को बढ़ावा मिलेगा और कंपनियां जीएसटी में कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगी।
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक महासंघ (एआईसीपीडीएफ) ने कहा कि यह केवल तकनीकी कर संशोधन न होकर एक ऐतिहासिक कदम है जो खपत बढ़ाने के साथ व्यापार पर दबाव को भी कम करेगा। संगठन का अनुमान है कि इससे अगले दो तिमाहियों में ग्रामीण खपत में आठ से लेकर 10 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है और वितरकों एवं खुदरा विक्रेताओं की नकदी स्थिति में 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
एआईसीपीडीएफ ने कहा, ‘‘जीएसटी दरों में कटौती के इस कदम से एफएमसीजी क्षेत्र की सालाना 10-12 प्रतिशत की वृद्धि दर में अतिरिक्त दो से तीन प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी हो सकती है।’’ जॉय पर्सनल केयर (आरएसएच ग्लोबल) के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन सुनील अग्रवाल ने कहा कि ग्रामीण भारत ने लगातार छह तिमाहियों से एफएमसीजी वृद्धि की अगुवाई की है और यह कदम इन संवेदनशील बाजारों में मांग को और मजबूत करेगा।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के साझेदार नवीन मलपानी ने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती से रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान अधिक किफायती हो जाएंगे और उनकी कीमतों में आठ से लेकर 10 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। एफएमसीजी उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि दर कटौती के बाद कंपनियां या तो उत्पादों के पैक में मात्रा बढ़ाएंगी या फिर उनकी कीमत घटाएंगी ताकि उत्पाद ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक हो सकें। खुदरा विक्रेताओं को उम्मीद है कि नए जीएसटी ढांचे से त्योहारी बिक्री में जोरदार उछाल आएगा।