
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने भारत पर अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले को सही ठहराया है। जेलेंस्की का कहना है कि रूस के साथ व्यापार करने वाले लोगों पर पाबंदियां लगाना जरूरी है। वह इससे पहले भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि रूस तेल और गैस बेचकर युद्ध के लिए पैसे जुटा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर रूस को मदद पहुंचाने वाले देशों पर अमेरिका सख्ती बरत रहा है तो इसमें क्या गलत है। एबीसी न्यूज पर जेलेस्की से रूस, चीन और भारत के साथ आने पर सवाल पूछा गया था। इस पर उन्होंने अमेरिकी फैसले को सही ठहराया।
जेलेंस्की से पूछा गया था कि एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस साथ नजर आए। क्या अमेरिका का भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला उल्टा पड़ गया है। इस पर जेलेंस्की ने कहा कि ट्रंप जानते हैं कि रूस को कैसे रोकना है। पुतिन का हथियार यह है कि वह दुनिया को तेल और गैस बेचते हैं। उनकी इस ताकत को कम करना होगा।
पिछले सप्ताह जेलेंस्की ने मांगा था समर्थन
तीन सितंबर को रूस ने रात भर में यूक्रेन पर 500 से अधिक ड्रोन और दो दर्जन मिसाइलें दागी थीं। इसके बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा था कि रूस के हमले के मुख्य लक्ष्य नागरिक बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से ऊर्जा सुविधाएं थीं। रूस ऊर्जा सुविधाओं को सर्दी से पहले निशाना बनाकर अपने पड़ोसी को परेशान करने की आक्रामक नीति पर काम कर रहा है। यूक्रेनी वायु सेना के अनुसार हमलों में मुख्य रूप से पश्चिमी और मध्य यूक्रेन को निशाना बनाया गया और कम से कम पांच लोग घायल हो गए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लड़ाई रोकने के प्रयासों के बावजूद, हाल के महीनों में नागरिक क्षेत्रों पर रूसी हवाई हमले तथा 1,000 किलोमीटर की अग्रिम पंक्ति में यूक्रेनी सुरक्षा को ध्वस्त करने के रूसी सेना के प्रयासों में कमी नहीं आई है। जेलेंस्की ने हालांकि ट्रंप के युद्ध विराम और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ आमने-सामने शांति वार्ता के प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन क्रेमलिन ने इस पर आपत्ति जताई है।
रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने का आग्रह
एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन चीन में चीनी नेता शी चिनफिंग और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ-साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिले। वाशिंगटन का कहना है कि ये देश रूस के युद्ध प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं। उसके अनुसार, उत्तर कोरिया ने रूस को सैनिक और गोला-बारूद भेजा है वहीं चीन और भारत ने रूसी तेल खरीदा है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को मदद मिली है। रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने का आग्रह करते हुए जेलेंस्की ने ‘टेलीग्राम’ पर कहा, “पुतिन अपनी अभेद्यता का प्रदर्शन कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “केवल पर्याप्त दबाव की कमी, विशेषकर युद्ध अर्थव्यवस्था पर, ही रूस को इस आक्रामकता को जारी रखने के लिए प्रेरित करती है।”