कचरे को जलाने से बचें तथा प्लास्टिक की मात्रा को न्यूनतम करने के प्रयास करें: डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह

- “सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट : चुनौतियाँ एवं समाधान” विषय पर कार्यशाला का आयोजन
वाराणसी। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-मानस को जागरूक करने के उद्देश्य से आज आयुक्त ऑडिटोरियम, वाराणसी मण्डल, वाराणसी में “सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, चैलेन्जेस एंड सॉल्यूशन” विषय पर जन-जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पब्लिक आउटरिच एंड अवेयरनेस प्रोग्राम के अंतर्गत किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता उ.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.रविन्द्र प्रताप सिंह ने की। डॉ. सिंह ने उपस्थित अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं उद्यमियों की सहभागिता की सराहना करते हुए आमजन से सॉलिड वेस्ट को न्यूनतम करने, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने तथा पुनर्चक्रण और वैज्ञानिक निस्तारण को अपनाने की अपील की।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सॉलिड वेस्ट के दहन से ग्रीन हाउस गैसें एवं कार्सिनोजेनिक गैसें उत्पन्न होती हैं, जो वायु गुणवत्ता एवं मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के कचरे को जलाने से बचें तथा प्लास्टिक की मात्रा को न्यूनतम करने के प्रयास करें।
कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह ने किया। उन्होंने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेस्ट का जनरेशन न्यूनतम किया जाय तथा जनित वेस्ट का निस्तारण नियमानुसार सुनिश्चित किया जाए ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट से जैव विविधता प्रभावित न हो।
इस अवसर पर नगर निगम वाराणसी के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.सुरेन्द्र चौधरी एवं परामर्शी डॉ.नवनीत कुमार ने सॉलिड वेस्ट के संग्रहण,पृथक्करण एवं निस्तारण की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। इसके अतिरिक्त श्री आशीष रंजन,डिप्टी जनरल मैनेजर, एनवीवीएन लिमिटेड, रमना, वाराणसी ने राष्ट्रीय हरित कोयला परियोजना के अंतर्गत मिक्स सॉलिड वेस्ट से प्रतिदिन लगभग 600 मीट्रिक टन चारकोल उत्पादन की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में सृजन संस्था के निदेशक अनिल सिंह, बेस इंडिया के डायरेक्टर डॉ.राजेश कुमार,आईईएसडी के प्रोफेसर डॉ.कृपा राम एवं आईएमए, वाराणसी के प्रेसिडेंट डॉ.एसपी सिंह ने सॉलिड वेस्ट से होने वाले पर्यावरणीय संकट एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रश्नोत्तर एवं सुझाव सत्र के पश्चात कार्यशाला का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।