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पंचतत्व में विलीन हुए जुबिन गर्ग: बहन ने दी चिता को मुखाग्नि, फूट-फूटकर रोईं पत्नी, नम आंखों से दी अंतिम विदाई

गुवाहाटी। असम के लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग का अंतिम संस्कार मंगलवार को सोनापुर के श्मशान घाट में कर दिया गया। राज्यभर से आए हजारों लोग उनकी इस आखिरी यात्रा में शामिल हुए। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को दूसरे पोस्टमार्टम के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल लाया गया। पोस्टमार्टम के बाद उनका शव सोनापुर के श्मशान घाट ले जाया गया। घाट पर उनके प्रशंसक भी बड़ी संख्या में पहुंचे।

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा , केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, असम विधानसभा के अध्यक्ष सर्बानंद सोनोवाल, विपक्ष के नेता और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों सहित गणमान्य व्यक्तियों ने अंतिम संस्कार से पहले श्री गर्ग को श्रद्धांजलि अर्पित की।

बहन पामी बोरठाकुर ने दी चिता को मुखाग्नि

गर्ग की बहन पामी बोरठाकुर ने पारिवारिक मित्र राहुल गौतम और अन्य लोगों के साथ पारंपरिक वैदिक अनुष्ठानों के बाद चिता को अग्नि दी और वहां मौजूद विशाल जनसमूह ने उनकी अमर रचनाओं में से एक, “मायाबिनी रातिर बुकुट” का गायन किया।

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रोती-बिलखती दिखीं जुबिन की पत्नी

गायक जुबिन गर्ग का शव अंतिम संस्कार के लिए जब चिता पर रखा गया। तो उनकी पत्नी पास खड़ी रोती-बिलखती रहीं। इस दौरान उन्होंने अपने पति को आखिरी बार दुलार किया। वहीं जुबिन के संस्कार के दौरान जुबिली बरुआ बेहद गमगीन हालत में नजर आए। मालूम हो कि दोनों गायक दो दशकों से भी ज्यादा समय से बिहू उत्सवों में प्रस्तुति देते आ रहे हैं।

गौरतलब है कि लोकप्रिय गायक का शुक्रवार को सिंगापुर में निधन हो गया था। सन 1972 में जन्मे  गर्ग ने अपना बचपन जोरहाट में बिताया और तीन साल की उम्र में अपनी माँ इली बोरठाकुर के मार्गदर्शन में गाना शुरू कर दिया। बाद में उन्होंने रॉबिन बनर्जी और रमानी राय से प्रशिक्षण लिया और गुवाहाटी के बी. बरूआ कॉलेज में जाने से पहले, जेबी कॉलेज, जोरहाट से उच्च शिक्षा पूरी की।

गर्ग का संगीत का सफ़र कॉलेज और विश्वविद्यालय में प्रस्तुतियों से शुरू हुआ, लेकिन 1992 में उनके पहले एल्बम अनामिका के रिलीज़ होने के साथ ही उनके करियर ने उड़ान भरी। बाद के दशकों में, उन्होंने असमिया, बंगाली, हिंदी, तमिल, तेलुगु, पंजाबी और अन्य भाषाओं में प्रस्तुति दी।

उन्होंने एक सफल बॉलीवुड पार्श्व गायक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई और कई अविस्मरणीय गाने दिए। गायक होने के अलावा जुबिन गर्ग एक निर्माता और अभिनेता भी थे, जिन्होंने कई असमिया फ़िल्मों में योगदान दिया। उनको कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। इसमें अंग्रेज़ी-खासी फ़िल्म इकोज़ ऑफ़ साइलेंस के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का रजत कमल पुरस्कार शामिल हैं।

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