देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया है. इससे गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. 2014 से पहले शरण मांगने वालों को CAA के तहत नागरिकता मिलेगी. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी. सीएए के नियमों को अधिसूचित करके एक और वादा पूरा करने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया. वहीं, विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए कानून लागू किया गया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और AIMIM प्रमुख ओवैसी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएए का खुला विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि अगर कोई भेदभाव होता है तो वो इसे स्वीकार नहीं करेंगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम प्रकृति में भेदभावपूर्ण और भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और भावना के खिलाफ है. चुनाव से ठीक पहले आज अधिसूचित सीएए नियम बीजेपी की हताशा को दर्शाते हैं, जो विभाजनकारी राजनीति का प्रयास है.
शरद पवार ने क्या कहा?
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने सरकार के फैसले की निंदा की. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह कदम संसदीय लोकतंत्र पर हमले के समान है. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ दिन पहले इस तरह का निर्णय संसदीय लोकतंत्र पर हमला है. हम इसकी निंदा करते हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि बीजेपी सरकार के ‘विभाजनकारी एजेंडे’ ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है. इसे ‘मानवता के प्रतीक’ से धर्म और नस्ल के आधार पर ‘भेदभाव के उपकरण’ में बदल दिया है.
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