इनकम टैक्स रिटर्न भरने का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आने लगता है, लोग टैक्स सेविंग के ऑप्शन तलाशने लगते हैं. सबसे ज्यादा टेंशन सीनियर सिटीजंस को रहती है कि वो आखिर कहां इंवेस्ट करें, जहां टैक्स सेविंग के साथ-साथ उनका पैसा सेफ भी रहे. तो आपको इस खास फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) स्कीम के बारे में जान लेना चाहिए, ताकि आपका निवेश भी सुरक्षित रहे और टैक्स भी बच जाए.
किसी भी बैंक की एफडी में निवेश करना बाकी सभी अन्य निवेश विकल्पों से सुरक्षित माना जाता है. सीनियर सिटीजंस के लिए ये इसलिए भी फायदेमंद रहती है क्योंकि भारत में उन्हें सामान्य नागरिकों की तुलना में एफडी पर 0.50 प्रतिशत तक का अधिक ब्याज मिलता है. इसी में एक ऑप्शन टैक्स-सेविंग एफडी का भी होता है.
क्या होती है टैक्स-सेविंग एफडी?
टैक्स सेविंग एफडी सामान्य एफडी की ही तरह होती हैं, लेकिन इनका लॉक-इन पीरियड 5 साल का होता है. ये एक तरह की कम्युलेटिव एफडी होती है, जिसमें आपको ब्याज का भुगतान 5 साल के बाद मैच्योरिटी पर होता है. इस तरह की एफडी में आपको हर साल मिलने वाला ब्याज आपकी एफडी के मूल अमाउंट में जुड़ता जाता है
एफडी पर लगने वाला टैक्स और मिलने वाली टैक्स छूट
टैक्स सेविंग एफडी में निवेश आपको इनकम टैक्स की धारा-80C के तहत टैक्स छूट का फायदा दिलावाता है. धारा-80सी के तहत आप एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपए की टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं. इसमें आपके इंश्योरेंस से लेकर पोस्ट ऑफिस तक में किए गए निवेश शामिल होते हैं.
अब अगर आपकी एफडी के ब्याज से हर साल इनकम होती है, तो उन्हें कमाए हुए ब्याज पर टैक्स भरना होता है. हालांकि सीनियर सिटीजंस यानी जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है, तब वो अपनी एफडी ब्याज की इनकम पर भी छूट ले सकते हैं. आयकर कानून की धारा-80TTB के तहत वो अलग-अलग इंवेस्टमेंट पर ब्याज से होने वाली टोटल 50,000 रुपए तक की इनकम के लिए टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. इसमें पोस्ट ऑफिस से लेकर एफडी से होने वाली इनकम भी शामिल है.
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