भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले के अशांत संदेशखालि का दौरा करने से रोकने के लिए धमखाली में तैनात एक सिख आईपीएस अधिकारी ने उन्हें कथित तौर पर ‘खालिस्तानी’ कहने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की मंगलवार को निंदा की. शुभेंदु अधिकारी के साथ मौजूद बीजेपी विधायक अग्निमित्र पॉल ने दावा किया कि पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे और इस आरोप को खारिज कर दिया कि बीजेपी समर्थकों ने उन्हें खालिस्तानी कहा.
आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह बीजेपी कार्यकर्ताओं से यह कहते हुए सुने गए, सिर्फ इसलिए कि मैंने पगड़ी पहनी है, आप लोग मुझे खालिस्तानी कह रहे हैं? क्या आपने यही सीखा है? यदि कोई पुलिस अधिकारी पगड़ी पहनता है और अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, तो वह आपके लिए खालिस्तानी बन जाता है? आपको शर्म आनी चाहिए. जसप्रीत सिंह ने कहा कि मैं तो बस अपना काम कर रहा हूं. क्या मैंने आपके धर्म के बारे में कुछ कहा? आप मेरे धर्म के बारे में क्यों बोल रहे हैं?
सिख समुदाय ने किया प्रदर्शन
बाद में, सिख समुदाय के सदस्यों ने कथित ‘खालिस्तानी’ तंज के विरोध में कोलकाता में मुरलीधर लेन स्थित बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. उन्होंने आसनसोल में भी प्रदर्शन किया. एडीजी और आईजीपी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने दावा किया कि यह एक जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य’ था जिसका उद्देश्य एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना था.
शुभेंदु अधिकारी पर लगाया आरोप
वहीं ममता बनर्जी सरकार ने कहा कि क्योंकि किसी ने पगड़ी पहनी हुई है, आप उस व्यक्ति को खालिस्तानी नहीं कह सकते. यह बिलकुल अस्वीकार्य है. अगर जरूरत पड़ी तो हम कानूनी कदम उठाएंगे. तृणमूल कांग्रेस ने भी एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि शुभेंदु अधिकारी ने ही पुलिस अधिकारी के लिए ‘खालिस्तानी’ शब्द का इस्तेमाल किया था. पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी दावा किया कि विपक्ष के नेता ने सिख आईपीएस अधिकारी को खालिस्तानी कहा.
उसने एक्स पर लिखा, इस घटना क्रम से नाराज हम, पश्चिम बंगाल पुलिस बिरादरी, इस वीडियो को साझा कर रहे हैं, जिसमें हमारे ही एक अधिकारी को राज्य के विपक्ष के नेता द्वारा ‘खालिस्तानी’ कहा गया. उनका दोष है वह एक गौरवान्वित सिख हैं और एक सक्षम पुलिस अधिकारी भी हैं जो कानून लागू करने की कोशिश कर रहे थे.
शुभेंदु अधिकारी ने आरोपों से किया इनकार
शुभेंदु अधिकारी ने इन आरोपों से इनकार किया और टीएमसी पर संदेशखालि के घटनाक्रम से ध्यान भटकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मुझ पर लगे आरोप निराधार हैं. पुलिस अधिकारी ही समर्थकों को भड़का रहे थे. अगर टीएमसी को अल्पसंख्यकों की इतनी ही चिंता है, तो उन्हें पहले अपनी पार्षद अनन्या बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने ईसाई समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है.
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