मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मराठा नेता मनोज जरांगे द्वारा लोकसभा चुनाव में हर गांव से एक उम्मीदवार उतारने के ऐलान के बाद जिला प्रशासन चिंतित है. महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के कलेक्टर ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सुझाव मांगा है कि यदि मराठा नेता हर गांव से उम्मीदवार उतारते हैं तो व्यवस्था गड़बड़ा सकती है और वर्तमान व्यवस्था के तहत चुनाव कराया जाना संभव नहीं होगा. इससे चुनाव व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा हो सकती है.
महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के कलेक्टर ने मराठा समुदाय के ईवीएम की क्षमता से परे “बहुत अधिक” उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के ऐलान पर चिंता जताई है. कलेक्टर ने ऐसी स्थिति से निपटने के लिए चुनाव आयोग से सलाह मांगी है.
मराठवाड़ा क्षेत्र में हैं 8 लोकसभा की सीटें
धाराशिव पहले उस्मानाबाद के नाम से जाना जाता था. धाराशिव उन आठ जिलों में से एक है, जिसमें राज्य का मराठवाड़ा क्षेत्र शामिल है. इसी इलाके में मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व किया है. इस क्षेत्र में लोकसभा की कुल आठ सीटें हैं.
6 मार्च को लिखे एक पत्र में, धाराशिव कलेक्टर सचिन ओम्बसे ने कहा है कि असंतुष्ट” मराठा समुदाय द्वारा ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की क्षमता से परे बहुत सारे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है और इससे कई मुद्दे सामने आ सकते हैं. यदि क्षमता से अधिक उम्मीदवार उतारे गये तो मतदान पत्र का इस्तेमाल करना होगा.