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“Why Leave India?” पोस्ट वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर भारत छोड़ने, PR रिजेक्शन और विदेश में भारतीय युवाओं के संघर्ष को लेकर गर्म बहस शुरू हो गई है। जानिए क्या हैं कारण और अनुभव।
भारत से विदेश पलायन: सपनों की उड़ान या हकीकत की ठोकर?
हाल ही में एक वायरल पोस्ट “Why Leave India?” ने सोशल मीडिया पर बहस की लहर छेड़ दी। हजारों लोगों ने इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए अपने दर्द, संघर्ष और पछतावे को साझा किया। कई यूज़र्स ने खुलकर कहा कि वे विदेश तो गए, लेकिन ना उन्हें PR मिली और ना ही वह जीवन जो उन्होंने सोचा था।
PR पाने की होड़ में क्या खोया…?
लाखों का कर्ज़
परिवार से दूरी
वीजा रिजेक्शन का तनाव
बिना PR के संघर्षपूर्ण जीवन
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे देशों में PR की दौड़ में शामिल होने के लिए छात्र लाखों रुपये खर्च करते हैं। एजुकेशन लोन, महंगे कोर्स, और फिर लंबे इंतज़ार के बाद अगर PR ना मिले तो मानसिक और आर्थिक स्थिति डगमगा जाती है।
वायरल पोस्ट में क्या था खास?
एक यूज़र ने लिखा:
“मैं अपने माता-पिता को छोड़कर विदेश आया था। आज यहां 5 साल हो गए, PR अब तक नहीं मिली। होटल में काम कर रहा हूँ, लेकिन लौटने की हिम्मत नहीं है — क्योंकि समाज ताने देगा।”
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
- कुछ लोगों ने समर्थन किया:“भारत में अवसर नहीं हैं, सिस्टम स्लो है, टैलेंट की कद्र नहीं।”
- कुछ ने विरोध किया:“भारत छोड़कर विदेश जाना हमेशा बेहतर नहीं होता। वहां की ज़िंदगी बाहर से चमकती है लेकिन अंदर से बहुत कठिन है।
क्या कहता है डेटा?
- हर साल लाखों भारतीय छात्र विदेश पढ़ाई के लिए जाते हैं
- लेकिन 30-40% छात्र PR या स्थाई नौकरी नहीं हासिल कर पाते
- 20% तक छात्र डिप्रेशन या मानसिक तनाव की स्थिति में पहुंचते हैं
क्यों छेड़ी इस पोस्ट ने बहस?
क्योंकि ये सवाल सिर्फ “भारत छोड़ो या नहीं?” तक सीमित नहीं है। ये सवाल है:
क्या हम भारत में ऐसे मौके और माहौल बना पा रहे हैं कि युवा यहीं रुकें और सफलता हासिल करें?
निष्कर्ष:
भारत छोड़ना किसी का भी व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन यह जरूरी है कि हम सपनों और हकीकत के बीच का फर्क समझें। विदेश में जीवन आसान नहीं होता, और PR की राह में कई बार मानसिक और आर्थिक दोनों तरह की कीमत चुकानी पड़ती है।
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