अहमदाबाद, 12 जून 2025:
Air India की फ्लाइट 171, जो कि दिल्ली से अहमदाबाद जा रही थी, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दर्दनाक हादसे में कुल 260 लोगों की जान चली गई, जिससे पूरा देश सदमे में आ गया। अब Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट जारी कर दी है, जिसमें इंसानी गलती (Human Error) को हादसे की सबसे प्रमुख वजह बताया गया है।
क्या कहती है शुरुआती जांच रिपोर्ट?
AAIB की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लाइट के दोनों इंजन टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद बंद हो गए थे। कारण यह सामने आया है कि विमान के फ्यूल-स्विच पोजीशन ‘RUN’ से ‘CUTOFF’ में बदल गई थी, जिससे ईंधन की आपूर्ति रुक गई और इंजन बंद हो गए।
✦ यह बदलाव एक संभावित मानव त्रुटि (human error) मानी जा रही है।
✦ तकनीकी खराबी की आशंका को प्रारंभिक जांच में नकारा गया है।
✦ जांचकर्ता यह भी देख रहे हैं कि क्या यह ट्रेनिंग की कमी, क्रू मेंबर की थकावट, या मैन्युअल ऑपरेशन गलती का नतीजा था।
Dreamliner विमान और सुरक्षा मानक पर सवाल
Air India का यह विमान एक Boeing 787 Dreamliner था, जिसे अब तक सबसे सुरक्षित विमानों में गिना जाता है। लेकिन इस घटना ने एयरलाइन की ट्रेनिंग प्रैक्टिस और मेंटेनेंस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एयरलाइंस की प्रतिक्रिया
Air India ने बयान जारी कर कहा है कि वे AAIB की जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता दी जा रही है।
“यह हमारे लिए एक भावनात्मक रूप से बेहद कठिन समय है। हम निष्पक्ष जांच की पूरी प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं।” – Air India प्रवक्ता
क्या होगा अगला कदम?
अब इस हादसे की पूर्ण तकनीकी जांच की जा रही है। AAIB द्वारा अंतिम रिपोर्ट आने तक,
- संबंधित क्रू को सस्पेंड कर दिया गया है
- Dreamliner सीरीज की कई उड़ानों की सुरक्षा दोबारा जांची जा रही है
- DGCA (Directorate General of Civil Aviation) ने एयरलाइंस को क्रू ट्रेनिंग मॉड्यूल की पुनर्समीक्षा का आदेश दिया है
जनता में आक्रोश और सवाल
सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि 260 लोगों की जान एक साधारण इंसानी गलती के कारण कैसे जा सकती है?
#JusticeForFlight171 और #AirIndiaCrash जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
इस हादसे ने एक बार फिर यह याद दिला दिया कि एविएशन सुरक्षा में ज़रा सी चूक भी बड़ी कीमत ले सकती है। शुरुआती रिपोर्ट से जो बातें सामने आई हैं, वे यह बताती हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ट्रेनिंग, SOP फॉलोअप, और इंसानी व्यवहार विश्लेषण को और कड़ा किया जाना चाहिए।
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