नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर को धमकी देने व अपहरण करने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई है। न्यायालय के इस फैसले से पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर विराम लग गया है। धनंजय सिंह ने अभी हाल ही में जौनपुर लोकसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, उनकी इस घोषणा से सत्ता पक्ष में बेचैनी हो गई थी। और सत्ता पक्ष को अपनी हार का डर सताने लगा था। हालांकि न्यायालय की फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती लेकिन न्यायालय के इस फैसले को जौनपुर की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा हैं।
सत्ता पक्ष के खेमे में हलचल मच गई
दरअसल भाजपा आलाकमान ने महाराष्ट्र के पूर्व राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह को जौनपुर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया है, उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद ही धनंजय सिंह ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी थी। धनंजय सिंह के एक पोस्ट “लड़ेगा जौनपुर जीतेंगे हम” ने उनके विरोधियों की नींद उड़ा दी थी, जाहिर है भाजपा प्रत्याशी सुनिश्चित करने के लिए सत्ता पक्ष ने न्यायालय का सहारा लिया। न्यायालय की निष्पक्षता पर हालांकि कोई टिप्पणी संभव नहीं है। लेकिन न्यायालय की फैसले को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है और न्यायालय के इस फैसले से काफी हद तक भाजपा प्रत्याशी को मदद मिल सकती हैं। सूत्रों की माने तो भाजपा प्रत्याशी की घोषणा के बाद धनंजय सिंह ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी और जौनपुर लोकसभा से अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव ने धनंजय उम्मीदवारी पर मोहर भी लगा चुके थे और ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा प्रत्याशी के विरोध में धनंजय सिंह विपक्ष के प्रत्याशी होंगे। धनंजय सिंह एक बार जौनपुर से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, और जौनपुर की जनता में उनकी खास पकड़ है। वह अपने राजनीतिक विरोधियों को कडी टक्कर देने में भी समर्थ हैं। इसलिए उनकी उम्मीदवारी की घोषणा से ही सत्ता पक्ष के खेमे में हलचल मच गई और उनके खिलाफ साजिश प्रारंभ हो गई, और धनंजय सिंह इस साजिश का शिकार हो गए।
धनंजय सिंह भाजपा प्रत्याशी को कडी टक्कर देते?
सूत्रों की माने तो धनंजय सिंह चुनाव की अपनी पूरी तैयारी कर चुके थे उन्हें सिर्फ टिकट की घोषणा होना बाकी थी। हालांकि भाजपा के सहयोगी दलों से भी टिकट मांग रहे थे, और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि भाजपा के सहयोगी दल उन्हें अपना उम्मीदवार बना लेंगे लेकिन बीजेपी आलाकमान ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया। जाहिर है भाजपा के सहयोगी दलों से टिकट न मिलने के कारण धनंजय सिंह विपक्ष के शरण में चले गए और विपक्ष ने उन्हें हाथों-हाथ लेते हुए अपना प्रत्याशी बनाने का मन भी बना लिया। विपक्षी दलों की पूरी उम्मीद है की धनंजय सिंह भाजपा प्रत्याशी को कडी टक्कर देंगे हालांकि जौनपुर के लोगों का कहना है कि अभी भी धनंजय सिंह भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देंगे।
धनंजय की लोकप्रियता और बढ़ गई
जौनपुर में धनंजय सिंह जन आधार वाले नेता हैं। उनकी पत्नी अभी भी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। वह हमेशा अपनी पत्नी के साथ जौनपुर जनता की सेवा में जुटे रहते हैं। जिससे उनकी काफी लोकप्रियता भी बड़ी है। और उनकी इस लोकप्रियता से विपक्षियों में बेचैनी भी हो गई है। विपक्षी दलों को उनकी लोकप्रियता रास नहीं आ रही है। और उन्हें कहीं ना कहीं अपना वर्चस्व खोता नजर आया है। इसीलिए सभी दलों ने मिलकर धनंजय के खिलाफ जो साजिश की उस साजिश में वह कामयाब हो गए। हालांकि विपक्षी दलों को सीधे इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि धनंजय के खिलाफ न्यायालय ने जो फैसला दिया है, उस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है। हालांकि धनंजय को सजा मिलने के बाद विपक्षी दलों में खुशी का माहौल है, और सत्ता पक्ष को अपनी राह आसान नजर आ रही है, लेकिन जनता की निगाह में धनंजय की लोकप्रियता और बढ़ गई है, और वहां की जनता ने यह कहना शुरू कर दिया है, कि हम हैं धनंजय और हम ही लड़ेंगे चुनाव अब यह देखना होगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कितना असर दिखाई देगा?
मुकदमा वापस लेने की अर्जी भी लगा दी
फिलहाल बता दे कि इस मुकदमें में एक दिन पहले यानी 05 मार्च को पूर्व सांसद और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को दोषी करार दे दिया गया था। और न्यायिक हिरासत में लेकर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया था। 10 मई 2020 को नामामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल द्वारा थाना लाइन बाजार में अपने अपहरण और रंगदारी टैक्स वसूली का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने मुकदमे की चार्ज सीट न्यायालय को भेजा था। न्यायालय में मुकदमे के परिसीलन के दौरान सभी गवाह पक्ष द्रोही ( होस्टाइल) हो गए थे यहां तक की मुकदमा वादी ने भी अपना मुकदमा वापस लेने की अर्जी भी लगा दी थी। इसके बाद भी न्यायधीश ने पत्रवली में मौजूद साक्ष्यो का हवाला देते हुए मुकदमे की सुनवाई की और 05 मार्च को बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह सहित उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया था।